दोस्तों, हमारे समाज में कुछ रिवाज ऐसे हैं जिन्हें अंधविश्वास की नजर से देखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि सदियों से चले आ रहे इन अंधविश्वासों में कितनी सच्चाई है और आखिर इनके पीछे विज्ञान काम करता भी है या नहीं।
सबसे पहले हम एक ऐसे अंधविश्वास के बारे में बात करेंगे जिसको अपने अक्सर अपने घरों में देखा होगा…. लोगों में रात में नाखून ना काटने को लेकर अंधविश्वास है कि रात में ऐसा करने से किस्मत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जबकि पुराने समय में बिजली नहीं होने के कारण रात में नाखून नहीं काटे जाते थे। उस वक्त नाखून काटने के लिए भी औजारों का इस्तेमाल किया जाता था। इससे अंधेरे में उंगिलयों के कटने के कटने का डर भी होता था।
वहीं कहा जाता है सांप को मारने वाले की तस्वीर उसकी आंखों में छप जाती है। जबकि इस अंधविश्वासा के पीछे लॉजिक ये है कि सांप के मरने के बाद भी उसका जहर लोगों को मार सकता है। इसलिए उसके सिर को कुचल कर दबा दिया जाता है….
और तो और आपने देखा होगा कि हमारे बड़े अक्सर हमें ग्रहण के समय बाहर निकलने से सख्त मना करते है….. उनके मुताबिक इस दौरान बुरी ताकते हावी हो जाती हैं। जबकि इसके पीछे का असली लॉजिक है कि ग्रहण के वक्त सूर्य की किरणों से त्वचा के रोग हो सकते हैं। साथ ही नंगी आंखों से उसे देखने से लोग अंधे भी हो सकते हैं।
वहीं दोस्तों आपने देखा होगा कि गर्भवती महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर भी की तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं…. कहा जाता है कि बुरी आत्मा का साया मां और होने वाले बच्चे पर पड़ सकता है। ऐसा करने के पीछे लॉजिक है कि पहले के वक्त में आने-जाने के साधनों की कमी थी और गर्भवती महिलाओं को पैदल चलने की समस्या होती थी।
और तो और दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाने पीछे लोगों का अंधविश्वास है कि ऐसा करने से बुरी ताकतो का साया दूर रहता है। इसके पीछे असली लॉजिक है कि नींबू मिर्ची में मौजूद सायटिक एसिड होता है जो कीड़े-मकौड़ों को घर में घुसने से रोकता है।
इसके साथ ही आपने अक्सर देखा होगा कि महिलाएं मंगल और गुरूवार को बाल धोने से परहेज करती है। क्योंकि उन्हें लगता है कि इस दिन बाल धोने से बुरे वक्त की शुरूआत होती है।
लेकिन आपको बता दें कि पुराने वक्त में लोग अपने घरों में पानी स्टोर करके रखते थे। बाल धोने में पानी ज्यादा खर्च होता है , तो इन दो दिन पानी बचाने के लिए बाल नहीं धोए जाते थे।
वहीं दोस्तों, शादी की रस्मों के साथ अंधविश्वास भी शुरू हो जाते हैं। जिसका आज के समय पर कोई लेना देना नहीं होता है। उन्ही अंधविश्वासों में से एक है
दुल्हन के सामने विधवाओं का आना
दोस्तों, माना जाता है कि शादियों में जब तक वह जयमाल की रस्म पूरी न हो जाए तब तक दुल्हन का दूल्हे की नानी-दादी या परिवार की कोई भी करीबी विधवा महिला उसके पास तब नहीं जानी चाहिए….
और तो और अगर किसी महिला के पति की मौत हो जाए तो उसको नई-नवेली दुल्हन के सामने आने से भी मना कर दिया जाता है। हालांकि, हमें यह समझ नहीं आता है कि किसी के साथ बैठने से या उसके साथ बात कर लेने से, इसका असर दुल्हन की किस्मत पर कैसे पड़ सकता है।
ये पूरी तरह से एक अंधविश्वास है जिसे हम आप जैसे लोगों ने ही बड़ा बना दिया है….
वहीं कहते हैं कि जिनका नसीब चमकदार होता उसी की शादी में बारिश होती है। यही एक वजह भी है कि शादी के दिन बरसात होना अच्छा माना जाता है। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की शादी में बारिश होती है, उनकी न केवल शादीशुदा जिंदगी खुशियों से भरी रहेगी बल्कि दूल्हा-दुल्हन की आपस में पटेगी भी।
हालांकि, कुछ इलाकों में शादी वाले दिन बारिश का होना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लड़की कढ़ाई में खाना खाती है, उसकी शादी में बारिश होती है। यही एक वजह भी है कि अपनी शादी के कुछ दिन पहले बड़ी लड़कियां ऐसा बिल्कुल भी नहीं करती हैं, क्योंकि उन्हें सारी तैयारियां बेकार होने का डर उनके मन में बना रहता है।
और तो और एक ऐसा भी अंधविश्वास है जो बहू के गृह प्रवेश से जुड़ा है…. यह अंधविश्वास भी सालों से चला आ रहा है। कहते हैं कि उस बहू को परिवार के लिए बदकिस्मत माना जाता है, जो गृह प्रवेश के मौके पर दाएं के बजाए बायां पैर रखती है।
वहीं अक्सर आपने शादियों में सुना होगा कि दुल्हन की मेहंदी जितनी गहरी होगी, उसका पति उसे उतना ही प्यार करेगा….. हालांकि, बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि मेहंदी डार्क हो या लाइट या फिर मीडियम पति का प्यार हमेशा ही 100% रहना चाहिए…. मेहंदी के रंग से पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई को नहीं आंका जा सकता है….
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