कलियुग बाद का युग : पुराणों में चार युगों के विषय में बताया गया है, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग । कलियुग को छोड़ कर सभी युगों की अपनी-अपनी खासियत रही । परंतु कलियुग में खासियत जैसा तो कुछ नहीं दिखता, चारो ओर अहंकार, प्रतिशोध, लालच और आतंक ही दिखाई देता है । कलियुग को मानव जाति के लिए एक श्राप कहा जाता है, जिसे इस युग में जीने वाला हर इंसान भुगत रहा है । लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की कलयुग का अंत के बाद आने वाला युग कैसा होगा ।
कलियुग का अंत
भारतीय ज्योतिष और पुराणों में सृष्टि के संपूर्ण काल-अवधी अर्थात समय को चार युगों में बांटा गया है । ये चार युग हैं-सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग । धार्मिक ग्रंथों के अनुसार युगों के परिवर्तन का यह बाईसवां चक्र चल रहा है । गीता में इस बात का वर्णन भी किया गया है । गीता के अनुसार परिवर्तन ही इस सृष्टि का नियम है । जैसे आत्मा एक शरीर को छोडकर दूसरा शरीर धारण करती है । दिन के बाद रात का होना सत्य है।जैसा की ऋतु भी अपने निश्चित समय के साथ परिवर्तित होती है। ठीक उसी तरह एक निर्धारित काल अवधि के बाद इस सृष्टि में युग का परिवर्तन होना भी अटल सत्य है ।
युग परिवर्तन के इस चक्र के अनुसार अभी कलियुग चल रहा है । शास्त्रों के अनुसार कलियुग 4,32,000 साल का है जिसमें अभी 4,27,000 साल बचे हुए हैं । अर्थात कलियुग के अंत होने में अभी काफी समय है । लेकिन कलियुग का अंत कैसा होगा इसका वर्णन ब्रह्मपुराण में मिलता है । ब्रह्मपुराण के अनुसार कलियुग के अंत में मनुष्य की आयु महज 12 वर्ष रह जाएगी। इस दौरान, मानव जाति का पतन होगा, लोगों में द्धेष और दुर्भावना बढ़ेगी ।
जैसे जैसे समय व्यतीत होता जायेगा नदियां सूखती जाएगी । अन्याय से धन हासिल करने वाले लोगों में बढ़ोत्तरी होगी । लोग धन के लोभ में किसी की हत्या करने में भी संकोच नहीं करेंगे।कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुण्ठ धाम लौट जाएगीं । धीरे धीरे सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे । मनुष्य पूजन-कर्मकांड, व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे।गाय दूध देना बंद कर देगी ।
कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा । जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा । मानवता नष्ट हो जाएगी । रिश्ते खत्म हो जाएंगे । एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा । और जब आतंक अपनी चरम सीमा में होगा तो भगवान विष्णु का कल्कि अवतार लेंगे । पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे । इसके आलावा भगवान् श्री कृष्ण ने भी बताया है की कलियुग का अंत कैसे होगा । जिसका वर्णन महाभारत में मिलता है ।
श्री कृष्ण के अनुसार कलियुग में ऐसे लोगों का राज होगा जो बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ।इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे, जो बड़े ज्ञानी और ध्यानी कहलाएंगे लेकिन उनके आचरण राक्षसी होंगे । कलियुग में बालकों के लिए माँ की ममता इतनी बढ़ जाएगी कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा । मोह-माया में ही घर बर्बाद हो जाएगा।ठीक इसी तरह कलियुग में अन्न के भंडार होंगे लेकिन लोग भूख से मरेंगे ।
सामने महलों में एशोआराम चल रहे होंगे पर पास की झोपड़ी में आदमी भूख से मर जाएगा । एक ही जगह पर असमानता अपने चरम पर होगी । कलयुग में जब पाप अपने चरम पर पहुँच जाएगा और पृथ्वीलोक से धर्म समाप्त होने लगेगा । तब में कल्कि रूप में अवतरित होकर इस धरा को पापों से मुक्त करूँगा और उसके बाद जो नया युग आएगा सतयुग कहलायेगा । अर्थात सृष्टि युग परिवर्तन का बाईसवां चक्र पूर करके तेइसवें चक्र में प्रवेश करेगी और फिर से ने नवयुग आरम्भ होगा जो सतयुग के नाम से जाना जाएगा ।
कैसा होगा सत युग
सतयुग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष होगी।इस युग में मनुष्यों की आयु 4000 से 10000 वर्ष होगी । पृथ्वीलोक पर फिर से धर्म का बोल-बाला होगा । मनुष्य भौतिक सुख की जगह मानसिक सुखों पर बल देगा । मनुष्यों में एक दूसरे के लिए नफरत की कोई जगह नहीं होगी चारों ओर प्यार ही प्यार होगा । मानवता की पुनः स्थापना होगी । मनुष्यों को परमज्ञान की प्राप्ति होगी । लोग पूजन -कर्मकांड में विश्वास करेंगे।सतयुग में मनुष्य अपने तपोबल से भगवान से बात कर सकेगा । इस युग में लोगों को अपने शरीर पर पूर्ण नियंत्रण होगा । आत्मा का परमात्मा के मिलन से सभी सुखी होगा । अर्थात सतयुग को इस सृष्टि का स्वर्णयुग कहा जाएगा ।
परन्तु कलियुग को अभी अपना काफी लम्बा सफर तय करना है । और सतयुग के आने में लाखों वर्ष बांकी है । तो क्यों न हमलोग कलयुग में ही अपने धर्म और कर्म से सतयुग की तरह जीने का काम करें । क्योंकि ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है की कलयुग में भी जो लोग धर्म और कर्म पर विश्वास करेंगे उन्हें सतयुग की तरह ही सुख की प्राप्ति होगी । …