मित्रों… काम और क्रोध ऐसी दो चीजे हैं… जिसपर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए… नहीं तो इसके उत्पन्न होने से कई तरह की बुराइयां जन्म ले सकती हैं…
और आज मैं आपको कामवासना से जुड़े एक ऐसे प्रसंग के बारे में बताने जा रहा हूं… जिसके कारण देवराज इंद्र को गौतम ऋषि ने क्रोध में आकर ऐसा श्राप दे दिया था… जिसके बाद इंद्र के शरीर पर 1 हजार योनियां बन आई थीं…
आखिर देवराज इंद्र ने ऐसा क्या कार्य किया था… जिससे गौतम ऋषि को क्रोध और समस्त देवतागण का मस्तक लज्जा से नीचे झुक गया था… यही जानेंगे मिलकर आज की इस वीडियो में….
तो मित्रों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का एक बार the divine tales पर… मित्रों इस प्रसंग का उल्लेख पद्मपुराण में मिलता है…
पद्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार… देवराज इंद्र स्वर्ग में अपसराओं के बीच रहने के बाद भी हमेशा कामवासना से घिरे रहे थे… एक दिन वो धरती पर विचरण कर रहे थे… इस दौरान उन्होंने एक सुंदर सी स्त्री को आश्रम के बाहर दैनिक कार्य करते देखा…
दरअसल, ये स्त्री गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या थी… जो दिखने में किसी अपसरा से कम नहीं थी… अहिल्या को देखते ही देवराज इंद्र उसपर मोहित हो गए… और वो रोज उसे देखने आश्रम के बाहर आने लगे… कुछ ही दिनों में देवराज इंद्र के मन में अहेलिया के प्रति काम वासना जाग गई… और वो उसे किसी भी हाल में पाने के बारे में सोचने लगे…
अब क्योंकि अहेलिया पहले से ही गौतम ऋषि की अर्धान्गिनि थी तो इंद्र उससे विवाह भी नहीं कर सकते थे… ऐसे में उन्होंने अहेलिया को अपना बनाने के लिए एक छल के बारे में सोचा…
उन्होंने सुबह गौतम ऋषि का रूप धारण कर अहिल्या के साथ कामक्रीडा करने की योजना बनाई क्योंकि सूर्य उदय होने से पहले ही गौतम ऋषि नदी में स्नान करने के लिए जाया करते थे… और करीब 2 से 3 घंटे के बाद ही आश्रम लौटते थे…
अपनी योजना को पूरा करने के लिए इन्द्र आधी रात से ही कुटिया के बाहर छिपकर ऋषि के जाने की प्रतीक्षा करने लगे… इस दौरान इन्द्र की कामेच्छा उनपर इतनी हावी हो गई कि उन्हें एक और योजना सूझी…
उन्होंने अपनी माया से ऐसा वातावरण बना दिया जिसे देखकर ऐसा प्रतीत हुआ था कि सुबह हो गई है… ये देखकर गौतम ऋषि कुटिया से बाहर चले गए…
गौतल ऋषि के जाने के कुछ समय बाद इन्द्र ने गौतम ऋषि का वेश धारण किया औऱ कुटिया में प्रवेश किया… उन्होंने आते ही अहिल्या से प्रणय निवेदन किया… अपने पति द्वारा इस तरह के विचित्र व्यवहार को देखकर पहले तो अहिल्या को शंका हुई.. लेकिन इन्द्र के छल-कपट से सराबोर मीठी बातों को सुनकर अहिल्या भी अपने पति के स्नेह में सबकुछ भूल बैठी…
उधर नदी के पास जाने पर गौतम ऋषि ने आसपास का वातावरण देखा… जिससे उन्हें अनुभव हुआ कि अभी सुबह नहीं हुई है… गौतम ऋषि को ये समझने में ज्यादा समय नहीं लगा कि कुछ अनहोनी होने वाली है… इस भय से वो जल्दी से आश्रम पहुंच गए… जहां उन्होंने अपने वेश में किसी और पुरुष को अहेलिया के साथ रति क्रियाएं करते देखा…
ये देखते ही गौतम ऋषि क्रोध से व्याकुल हो उठे… वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नी ने जब अपने पति को अपने सामने खड़ा पाया तो उन्हें सारी बात समझ में आ गई… अंजाने में किए गए अपराध को सोचकर उनका चेहरा पीला पड़ गया… इन्द्र भी भयभीत हो गए…
क्रोध से भरकर गौतम ऋषि ने इन्द्र से कहा ‘मूर्ख, तूने मेरी पत्नी का स्त्रीत्व भंग किया है… उसकी योनि को पाने की इच्छा मात्र के लिए तूने इतना बड़ा अपराध कर दिया… यदि तुझे स्त्री योनि को पाने की इतनी ही लालसा है तो मैं तुझे श्राप देता हूं कि अभी इसी समय तेरे पूरे शरीर पर हजार योनियां उत्पन्न हो जाएगी… ताकि स्त्री की योनि पाने के लिए तुझे किसी और स्त्री का सहारा ना लेना पड़े…
इसी के साथ अहेलिया से अनजाने में हुई इस भूल के लिए गौतम ऋषि ने उसे हमेशा के लिए पत्थर की मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया…
कुछ ही पलों में श्राप का प्रभाव इन्द्र के शरीर पर दिखने लगा और उनके पूरे शरीर पर स्त्री योनियां निकल आईं… ये देखकर इन्द्र शर्मिंदा महसूस करने लगे…
उन्होंने हाथ जोड़कर गौतम ऋषि से श्राप मुक्ति की प्रार्थना की… ऋषि ने इन्द्र पर दया करते हुए हजार योनियों को हजार आंखों में बदल दिया… इसलिए ही मित्रों आपको कई चित्रों में इंद्र के शरीर पर कई आंखें निकली हुई नजर आती होगी… जो गौतम ऋषि के श्राप का ही परिणाम है…
मित्रों… यहां पर ये भी बता दूं कि इंद्र के इस कारनामे से पूरा देवतागण अपमानित हो गया था… और इंद्र द्वारा किए गए ऐसे कई काम हैं… जिसके बाद से उन्हें स्वर्ग और देवताओं का राजा तो माना गया… लेकिन उनकी एक भगवान के तौर पर पूजा नहीं की जाती है…
तो मित्रों… आज की वीडियो में बस इतना ही…. अगर ये वीडियो पसंद आई हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करना… इसी के साथ अब मुझे दें इजाजत… मैं फिर लौटूंगा… कुछ और पौराणिक और धार्मिक कथाओं के साथ…