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प्रयाग संगम हनुमान मंदिर जंहा प्रतिमा लेटी हुई है

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प्रयाग संगम हनुमान मंदिर जंहा प्रतिमा लेटी हुई है

प्रयाग संगम बाले बड़े हनुमान या ऐसा हनुमान मंदिर जहाॅ भगवान् की लेटे हुए अवस्था में प्रतिमा है | आस्था और धर्म की  प्रतीक  संगम नगरी  अपनी विशेष धार्मिक मान्यताओं  और परंपराओं के लिए  दुनिया भर में जानी जाती है | धर्म की नगरी इलाहाबाद में संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी का एक अनूठा मंदिर है | यह पूरी दुनिया में इकलौता मंदिर है, जहां बजरंगबली की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है | ऐसी मान्यता है, कि संगम का पूरा पुन्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है |

हनुमान जी के इस मंदिर का इतिहास –

इस मंदिर का निर्माण 1787 में हुआ था,  मंदिर के अंदर 20 फुट हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति है | इस मूर्ति के पास ही श्री राम और लक्ष्मण जी की भी मूर्तियां हैं | इलाहाबाद के बीचो बीच बना यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए रात भर खुला रहता है | मंदिर में आए भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं | हनुमान जी यह लेटे हुए हनुमान जी को बड़े हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है | यह हनुमान जी की मूर्ति दक्षिणा मुखी मूर्ति है | हनुमान जी की मूर्ति का सर उत्तर दिशा की ओर तथा पैर दक्षिण दिशा की ओर है |  यहां मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है जो दर्शन पूजन कर प्रसाद चढ़ाते हैं |

हनुमान जी की इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है की  1400 ईसवीं में जब भारत पर औरंगजेब का शासन काल था तब उसने इस प्रतिमा को यहां से हटाने का प्रयास किया था | करीब 100 सैनिकों को इस प्रतिमा को यहां स्थित किले के पास के मंदिर से हटाने के काम में लगा दिया था | कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी प्रतिमा टस से मस नहीं हो सकी | सैनिक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए मजबूरी में औरंगजेब को प्रतिमा को वहीं छोड़ना पड़ा | संगम आने वाले हर श्रद्धालु यहां सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरूर पहुंचते हैं |

श्री बजरंगबली के लेटे हुए मंदिर के महंत आनंद गिरी महाराज के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ  पंडित नेहरू इंदिरा गांधी राजीव गांधी सरदार वल्लभभाई पटेल और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान विभूतियों ने यहां  पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामनाएं की |

इस प्रतिमा के दर्शन का महत्व –

लंका विजय के बाद बजरंगबली जब अपार कष्ट से पीड़ित होकर मरणासन्न अवस्था में यहां पहुंच गए थे, तब माता जानकी ने इसी जगह पर उन्हें अपना सिंदूर देकर नए भजन और हमेशा आरोग्य व चिरायु रहने का आशीर्वाद देते हुए, कहा की जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान करने आएगा उसको संगम स्नान का असली फल तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के दर्शन करेगा | यहां स्थापित हनुमान जी की अनूठी प्रतिमा को प्रयाग का कोतवाल होने का दर्जा भी प्राप्त है | आम तौर पर जहां दूसरे मंदिरों में प्रतिमा सीधी खड़ी होती हैं वही इस मंदिर में लेटे हुए बजरंगबली की पूजा होती है |

इच्छापूर्ति मंदिर –

यह कहा जाता है कि यह मांग की गई मनोकामना अक्सर पूरी होती है | आरोग्य व अन्य कामनाओं के पूरा होने पर हर मंगलवार और शनिवार को यहां मन्नत पूरी होने का झंडा निशान चढ़ाने के लिए लोग जुलूस निकालते हैं | भगवान हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा पूरे विश्व में और कहीं मौजूद नहीं है | संगम किनारे बने बांध के ठीक नीचे इससे यह बनवा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | सोलवी शताब्दी से इसका रख रखाव बा गांबरी गद्दी  मठ के द्वारा किया जाता है |

महंत के द्वारा बताया गया कि यदि आप मंगलवार के दिन पीपल के पेड़ के 11 पत्ते तोड़ लाएं और पत्ते तोड़ते समय ध्यान रखें की पत्ती कटे-फटे ना हो और ना ही खंडित हो इसके बाद इन पत्तों को साफ पानी या गंगाजल से धो ले कुमकुम अश्वगंधा और चंदन मिलाकर इन पर श्री राम का नाम लिखें नाम लिखते समय हनुमान चालीसा का पाठ करें इसके बाद श्री राम लिखे हुए इन पत्तों की एक माला तैयार करें और संगम पर स्थित इस मंदिर में हनुमान जी को चढ़ा दे ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो जाती है |

हनुमान जी को सिन्दूर चढाने की परम्परा –

पौराणिक कथाओं के मुताबिक लंका विजय के बाद भगवान राम जब संगम स्नान कर भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने प्रयाग आए तो उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी इसी जगह पर शारीरिक कष्ट से पीड़ित होकर मूर्छित हो गए पवन पुत्र को मां जानकी ने उन्हें अपनी सुहाग के प्रतीक सिंदूर से नई जिंदगी और हमेशा स्वस्थ एवं आरोग्य रहने का आशीर्वाद प्रदान किया | मां जानकी द्वारा सिंदूर से जीवन देने की वजह से बजरंगबली को सिंदूर चढ़ाए जाने की परंपरा प्रारंभ हुई |

मंदिर परिसर से जुडी मान्यता –

गंगा यमुना और सरस्वती के इस संगम तट पर स्थित लेटे हनुमान जी के इस सिद्ध मंदिर के बारे में एक अधिमान्यता है की मंदिर की मूर्ति को स्पर्श करने के लिए मां गंगा मंदिर तक आती है | मंदिर के व्यवस्थापक महंत आनंद गिरी ने बताया कि यह मंदिर दुनिया में एकमात्र स्थल है जहां रूद्र अवतार की लेटे की मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति है | बांध के ठीक नीचे बने इस मंदिर में गर्भ ग्रह 8 फीट नीचे है, ऐसी मान्यता है कि हर बार बारिश में मां गंगा स्वयं हनुमान जी का अभिषेक करने मंदिर तक आती है |

इसके बाद ही बाढ़ का पानी उतरने लगता है | गंगा और यमुना में पानी बढ़ने पर लोग दूर-दूर से यहां नजारा देखने आते हैं | मान्यता अनुसार हनुमान जी का गंगा में स्नान भारत भूमि के लिए सौभाग्य का सूचक माना जाता है | महान आनंद गिरि जी ने बताया कि बीते साल में मां गंगा ने मंदिर में प्रवेश नहीं किया और देश में सूखे की स्थिति बन गई थी | मंदिर में जल का प्रवेश प्रयाग और संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए माना जाता है |

कहा जाता है प्रयाग का कोतवाल –

यहां स्थित हनुमान जी को प्रयाग का कोतवाल कहा जाता है | प्रयाग में आने वाले सभी तीर्थयात्री संत महात्मा कुंभ के दौरान शाही स्नान के बाद यहां अपनी हाजरी जरूर लगाते हैं | संगम में आए कल्प वासी भी वापस जाने से पहले यहां आते हैं | संगम स्नान के बाद मंदिर में दर्शन करना शुभ माना जाता है | अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि मंदिर में जल प्रवेश के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं | वेद पाठी बटुक और आचार्य गंगा स्त्रोत एवं हनुमान चालीसा का पाठ अनवरत किया जाता है |

मंदिर पहुँचने का तरीका –

आप बड़े हनुमान के मंदिर तक आसानी से वायु, रेल और सडक मार्ग द्वारा पहुँच सकते है –

वायु मार्ग द्वारा – आप प्रयाग एयरपोर्ट पर पहुँच कर वहाॅ बस या टैक्सी द्वारा आसानी से इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं |

रेल मार्ग द्वारा – प्रयाग रेलवे स्टेशन तक देश के प्रमुख शहरो से ट्रेन आती रहती है तो आप रेल मार्ग द्वारा प्रयाग पहुंचकर वहाॅ से बस या टैक्सी द्वारा इस मंदिर तक आ सकते हैं |

सड़क मार्ग द्वारा – देश के प्रमुख शहरो से प्रयाग तक बसें आती रहती है |

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