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भगवान बुराई का अंत क्यों नहीं कर पाते?

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भगवान चाहकर भी बुराई का अंत क्यों नहीं कर पाते

अक्सर ये प्रश्न उठता है की जब अपराध हो रहा होता है तो ईश्वर कहाँ होते हैं। वो सर्वशक्तिशाली और सर्वव्यापी है तो फिर पाप क्यों होने देते  है। भगवान  बुराई रुपी राक्षस को क्यों पनपने ही क्यों देते हैं। भगवान बुराई का अंत क्यों नहीं कर पाते ?इस पोस्ट के माध्यम से आज हम इन्ही सारे सवालों का जवाब बताने की कोशिश करेंगे।

सर्वशक्तिशाली और सर्वव्यापी ईश्वर

ये हम सभी जानते है की इस दुनिया को कोई अदृश्य शक्ति ही चलती है। उस शक्ति के मर्जी के बिना कोई भी काम असंभव है। इसी शक्ति को हम भगवान कहते है। वही सबसे ज्यादा शक्तिशाली है,सर्वव्यापी हैं और सब कुछ देख सकते हैं। अब सवाल खड़ा होता है की अगर वह इतना शक्तिशाली है तो वह पूरी दुनिया से बुराई खत्म क्यों नहीं कर देते।आखिर क्यों समय-समय पर बुराई पूरी दुनिया में हावी होने देते है।आज भी अगर कहीं दुष्कर्म जैसा पाप होता है तो भगवान उसे होने ही क्यों देते है।  ये वह सवाल है जो भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करता हैं।

अच्छाई और बुराई का सम्बन्ध

हर धर्म के ग्रंथ में भगवान को सर्वशक्तिशाली बताया गया है। लेकिन उसके साथ ही उसमें शैतान का अस्तित्व भी बताया गया है।उसे अलग-अलग नाम भी दिए गए हैं। पौराणिक काल से ही शैतान हमेशा भगवान पर हावी होने की कोशिश करता है। जिसका वर्णन हमारे धर्मग्रंथों में भी मिलता है। बुराई हमेशा ही अच्छाई को हराना चाहता पर वह जीत नहीं पाती। पर यह भी सच है कि भगवान भी कभी बुराई रुपी शैतान का पूरा अंत नहीं कर पाते। दोनों में कभी भी सीधी टक्कर नहीं होती। बल्कि शैतान अपनी बुराई से हर तरफ हावी होने की कोशिश करता है। परन्तु अंत में अच्छाई की ही जीत होती है।

दरअसल धर्म ग्रंथों के अनुसार इस सृष्टि को सुचारु रूप से चलने के लिए हरेक चीज का संतुलन जरूरी है।यानी कभी भी एक तरफ की जीत नहीं हो सकती। – शैतान को भी इसीलिए बनाया गया है ताकि सही गलत का निर्माण किया जा सके। भगवान ने हर चीज को जोड़ी में बनाया है।  एक में कोई और है और दूसरे में कोई और गलती से बाद में किसी तीसरे का निर्माण होता है। हमारा भी निर्माण कुछ ऐसे ही हुआ है। हमारा आधा भाग भगवान का तो आधा भाग शैतान का है।  इसीलिए हम पर दोनों ही हावी रहते हैं।

शैतान के बिना भगवान नहीं

अगर शैतान का अस्तित्व नहीं होता तो भगवान का अस्तित्व भी नहीं होता। क्योंकि शैतान ही वह दर्द और बुराई देता है जो हमें अच्छाई की तरफ जाने को विवश करता है। अब आप ही सोचिए अगर आप हमेशा ही खुश रहें और आपने कोई भी बुराई देखी ही ना हो तो आपको अच्छाई की अहमियत पता ही नहीं होगी। इसीलिए हम शैतान के डर से भगवान को मानते हैं। अगर हम पर बुराई हावी हो रहा है तो इसका अर्थ है  हम शैतान को हावी होने दे रहे हैं।  जब बाद में हमें बुराई ज्यादा बढ़ती दिखती है तभी हम अच्छाई की तरफ जाते हैं।

भगवान का होना और शैतान का होना सृष्टि के संतुलन के लिए जरूरी है। लेकिन अंत में यह सवाल की भगवान शैतान को खत्म क्यों नहीं कर सकता। तो शायद इसका जवाब यहीं हो सकता है की शैतान को भगवान ने बनाया ही नहीं हो। या फिर हो सकता है भगवान और शैतान को उससे भी बड़ी किसी महाशक्ति ने बनाया हो।एक ऐसी महाशक्ति जो भगवान और शैतान दोनों से अपना काम करवाती हो। उसे दोनों की ही जरूरत हो। वो महाशक्ति दोनों में से किसी एक को भी नष्ट नहीं करना चाहती हो। और हो सकता है कि उस महाशक्ति की योजना हमारी सोच से भी परे हो। 

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