भगवान शिव की बेटियों : सनातन धर्म का सांस्कृतिक इतिहास वेदो, पुराणों, उपनिषदों और ग्रंथो से मिलकर बना है। जिनमे से एक है शिवपुराण। इसमें कई ऐसी घटनाओं का उल्लेख है। जिनका ज्ञान बहुत कम ही लोगो को होगा। शिवपुराण में एक ऐसी ही पौराणिक कथा का वर्णन है। जिसमे कहा गया है कि माता पार्वती और भगवान शिव की कार्तिकेय और गणेश के अलावा और भी संताने थी। उन सन्तानो की उत्पत्ति कैसी हुई, क्या थे इनके नाम और कहा होती है इनकी पूजा। आइये जानते है…
शिव पुराण की कथा
शिवपुराण में भगवान् शिव की 6 सन्तानो का उल्लेख मिलता है। जिसमे तीन पुत्र और तीन पुत्रियों का वर्णन है। भगवान् गणेश और कार्तिकेय के बारे में तो सभी जानते है लेकिन इनके अलावा भी भगवान शिव की तीन पुत्रिया और एक पुत्र था। जिनका परिचय कुछ इस परिचिय कुछ इस प्रकार है। भगवान शिव के तीसरे पुत्र का नाम अय्यप्पा है। जिनकी पुरे दक्षिण भारत में लोग बड़ी आस्था के साथ पूजा- अर्चना करते है। पुत्रो के अलावा भगवान शिव की तीन पुत्रियां और भी थी। अशोक सुंदरी, ज्योति और वासुकी। जो अत्यधिक सुन्दर थी। परन्तु उनमे से एक माता पार्वती की सौतेली संतान थी।
अशोक सुंदरी : भगवान शिव की बेटियों
कहा जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती की पहली पुत्री अशोक सुंदरी का जन्म माँ पारवती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए दिया था। चूँकि अशोक सुंदरी देवी पारवती के अकेलेपन के शोक को खत्म करने के लिए पुत्री रूप में आई थी। इसलिए उनके नाम में अशोक पड़ा और माँ पारवती के समान सुन्दर होने के कारण अशोक नाम के साथ सुंदरी नाम जोड़ा गया। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया था। तब उस समय अशोक सुंदरी भयभीत होकर नमक के बोरे में छुप गयी थी। इसी वजह से उनको नमक के महत्व के साथ भी जोड़ा जाता है। गुजरात में इनकी पूजा होती है।
भगवान शिव और देवी पारवती की दूसरी पुत्री ज्योति से जुडी दो कथाये प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार ज्योति का जन्म भगवान शिव के तेज से हुआ था… और दूसरी कथा के अनुसार माँ पारवती के माथे से निकले तेज से इनका जन्म हुआ था। इसलिए इनका नाम देवी ज्योति और माँ ज्वालामुखी पड़ा। तमिलनाडु के कई मंदिरो में इनकी पूजा होती है।
माता पार्वती की सौतेली पुत्री– वासुकी
भगवान शिव की तीसरी पुत्री वासुकी जो देवी पार्वती की सौतेली संतान थी। वासुकी का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव का पसीना कद्रू यानि सापों की देवी की प्रतिमा को छू गया था। जिससे वासुकी का जन्म हुआ। इसलिए इन्हे शिव पुत्री ही कहा जाता है। इनको मनसा नाम से भी जाना जाता है। बंगाल के कई मंदिरो में इनकी पूजा की जाती है। हालाकिं तीनो बहने अपने भाइयो की तरफ इतनी चर्चित तो नहीं है। और नाही इनके बारे में ज़्यादातर लोग जानते है। लेकिन भारत के कई हिस्सों में इनकी पूजा की जाती है…