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मां गंगा ने अपने ही पुत्रों को क्यों मार डाला

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दोस्तों, मां गंगा की पवित्रता और पाप से मुक्ति दिलाने की बातें तो आपने बहुत सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं एक पाप माता गंगा ने भी किया था और वो पाप कोई छोटा- मोटा पाप नहीं था। अब सोचने वाली बात है कि सबको पाप मुक्त करने वाली गंगा से आखिर ऐसी कौन- सी गलती हो गया थी…

दरअसल, मां गंगा ने अपने ही सात पुत्रों को नदी में बहा दिया था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक मां ने अपने ही पुत्रों के साथ ऐसा क्यों किया?

एक दिन हस्तिनापुर के राजा, राजा शांतनु जंगलों में घूमने निकलें और उनकी मुलाकात गंगा जी हुई। गंगा की सुंदरता और उसकी निर्मलता देखते ही शांतनू उन पर मोहित हो गए और उन्होंने गंगा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। मन ही मन गंगा भी राजा शांतनू को पसंद करन लगी थी। उन्होंने शांतू को शादी के लिए हां कह दिया, लेकिन ये शादी इतनी आसानी से होने वाली नहीं थी।

गंगा ने शादी के लिए हां तो कहा ही, लेकिन साथ ही एक शर्त भी रखी। शर्त ये थी कि वो जो भी करेंगी कभी भी उनसे किसी काम को करने की वजह नहीं पूछी जायेगी। अगर राजा इस वचन को तोड़ते हैं, तो माता गंगा उन्हें उसी पल छोड़ कर चली जायेंगी। शांतनू ने गंगा की ये शर्त तुंरत मान ली। इसके बाद बड़े ही धूम-धाम के साथ हस्तिनापुर के राजा शांतनू का विवाह मां गंगा से हो गया। बीतते समय के साथ उनके बीच प्रेम भी बढ़ता जा रहा था और उनके रिश्ते की डोर और मजबूत होती गयी। कुछ साल बाद मां गंगा को पहले पुत्र की प्रप्ति हुई, लेकिन गंगा ने अपने पुत्र को नदी में बहा दिया।

राजा अपने वचन से बंधे थे, इसलिए उन्होंने गंगा से कुछ नहीं पूछा। समय तो गुजर रहा था लेकिन ये बात सभी के मन में घर कर चुकी थी। इसके बाद राजा शांतनू को दूसरा पुत्र हुआ, लेकिन मां गंगा ने उसे भी नदी में बहा दिया। महल में चारों ओर इस बात की चर्चा होने लगी, भला कोमल ह्रदय रखने वाली महारानी गंग इतनी क्रूर कैसे हो गयी। इसके बाद उन्हें जो भी संतान होती, माता सभी को नदी में बहा देती। ऐसा करते- करते माता ने अपनी सात संतानों को मार दिया।

कुछ समय बाद राजा शांतनू और मां गंगा के आठवीं संतान हुयी। माता उसे लेकर नदी में बहाने निकली ही थी  कि राजा शांतनू ने उन्हें रोक दिया और अपने वचन को किनारे रख कर उनसे पूछा, महारानी आपको क्या हो गया, आप अपने ही पुत्रों के साथ ऐसा कैसे कर सकती है। आपने अब तक हमारे सात पुत्रों को नदी में बहा दिया है और अब आप इस पाप को फिर से करने जा रही हैं। आखिर क्या वजह है, जिसने एक मां को इतना कठोर कर दिया।

राजा शांतनू से ये बातें सुनकर माता से रहा न गया, उन्होंने कहा बस करिये स्वामी, आप ये सब क्या बोले जा रहें है। मैंने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने पुत्रों को खुद से दूर किया है। मैं कोई कठोर ह्रदय की मां नहीं हूं, बल्कि अपने पुत्रों की भलाई के लिए ही मैनें ऐसा किया है। मां गंगा ने बताया, मेरे आठों पुत्र वसू थे और इन्हें ऋषि वशिष्ठ ने श्राप दिया था, जिसकी वजह से अगर वे जीवित रहते जो उनको अपना सारा जीवन सिर्फ दुखों और कठिनाईयों के साथ ही बिताना पड़ता। अब आप ही बताइय़े कोई मां अपने पुत्रों को कष्टों में कैसे देख सकती है, वो भी पूरा जीवन।

माता गंगा से ये बातें सुनकर शांतनू हैरान हो गए। गंगा ने कहा, स्वामी लेकिन अब आपने अपना वचन ही तोड़ दिया, इसलिए अब मुझे आपको छोड़कर जाना होगा। मैं अपने इस आठवें पुत्र को आपको सौंपती हूं।

इतना कह कर मां गंगा राजा शांतनू को छोड़कर वहां से चली गयी।

आपको बता दें, महाराज शांतनू और मां गंगा का ये आठवां पुत्र ही आगे चलकर भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। अपने पिता की खुशी के लिए उन्होंने आजीवन शादी न करने की प्रतिज्ञा भी ली थी और उनकी इसी भीषण प्रतिज्ञा की वजह से ही उनका नाम भीष्म पड़ा। वो कितने महान और शक्तिशाली थे, ये तो आपने महाभारत में सुना ही होगा। उन्होंने महाभारत के प्रलयंकारी युद्ध में पांडवों की सेना के छक्के छुड़ा दिये थे।

आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें जरुर बतायें। अगर आप इसका वीडियो देखना चाहते है, तो दिये गये लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।

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