दोस्तों, ये तो आप ने सुना होगा कि नारायण का नाम लेने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, लेकिन एक बार श्री हरि का नाम सुनने से सभी प्राणियों की मृत्यु होने लगी, है न ये चौंका देने वाली बात। पर अब आप सोच रहें होंगे, कि भला ऐसा कैसे हो सकता है, लेकिन ये बात बिल्कुल सच है..
एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार नारद जी विष्णु जी से मिलने बैकुंठ गये। वहां उन्होंने प्रभु को प्रणाम किया और फिर उनसे बात करने लगे। बातों ही बातों में वो विष्णु जी से एक सावल पूछ बैठें उन्होंने कहा, प्रभु ये बताइए की श्री हरि का नाम लेने से आखिर क्या होता है? प्रभु, नारद जी की बात अच्छे से समझ चुके थे, लेकिन उन्होंने उस वक्त उनसे कुछ नहीं कहा। कुछ देर सोचने के बाद भगवान विष्णु नारद जी से बोले, नारद जी ये बात पता करने के लिए आपको धरती पर जाना होगा। नारद जी तुंरत मान गए और उनसे पूछा, लेकिन प्रभु मुझे धरती पर जाकर क्या करना होगा। विष्णु जी ने कहा आप धरती पर जाइये और किसी कीड़े को श्री हरि नाम सुनाइये।
नारद जी तुरंत धरतीलोक पर गए और एक कीड़े को हरि नाम सुनाने लगे, इतना करते ही वो कीड़ा मर गया। नारद जी चौंक गए और दौड़े- दौड़े भगवान विष्णु के पास आए और सारी बात उन्हें बतायी। नारायण बोले ऐसा करिये अब आप किसी चिडिया को सुनाइये ये नाम, नारद जी चिडिया के पास गए और चिडिया के साथ भी यही हुआ। श्री हरि का नाम सुनते ही वो चिडिया भी मर गई। अब नारद जी परेशान हो गए, वो नारायण के पास गये और उन्हें सारी घटना बतायी। विष्णु जी ने कहा नारद जी अब आप हिरण के बच्चे को श्री हरि का नाम सुनाइये। नारद जी के कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, लेकिन प्रभु की आज्ञा को कैसे मना करते। बिना कुछ बोले वो हिरण के बच्चे के पास गए और उसे श्री हरि का नाम सुनाने लगे, लेकिन कुछ ही देर में हिरण के बच्चे की भी मृत्यु हो गई। अब तो मानों नारद जी के पैरों तले जमीन ही खिसक गयी हो।
वो विष्णु जी से बोले, प्रभु मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, अगर ऐसे ही चलता रहा तो लोगों का आप पर से विश्वास ही उठ जायेगा। नारायण बोले आप अब गाय के बछड़ें को जाकर हरि का नाम सुनाए। डरते- डरते नारद जी गाय के बछड़े के पास गए और उसे श्री हरि का नाम सुनाना शुरु कर दिया। नाम सुनते ही गाय का बछड़ा मृत्यु को प्यारा हो गया। नारद जी विष्णु जी के पास गए और बोलें प्रभु मुझे नहीं जाननी है इस नाम की महिमा। मेरे इस सवाल की वजह से न जाने कितने पशुओं की मृत्यु हो चुकी है। भगवान ने नारद जी को समझाया और उनसे कहा, अच्छा अब आप किसी मनुष्य को सुनाइये ये नाम।
काशी नरेश के यहां अभी- अभी एक पुत्र हुआ है, आप उसे जाकर सुनाइये मेरा ये नाम। नारद जी उदास मन के साथ गए और उस छोटे से बच्चे के कान में जाकर श्री हरि का नाम कहने लगे। कुछ ही देर में वो बालक बोल पड़ा, उसने नारद जी को प्रणाम किया और उन्हें धन्यावाद कहा। नारद जी को कुछ भी समझ नहीं आया। तब उस बालक ने उन्हें बताया, प्रभु मैं ही वो कींड़ा हूं, जिसे आप ने सबसे पहले श्री हरि का नाम सुनाया था। इसका बाद मैं चिड़िया बना, फिर हिरण का बच्चा और फिर गाय का बच्चा। आप के हरि वचन सुनकर ही मुझे मनुष्य योनी में जन्म मिला। इसके लिए मैं आपका जितना भी धन्यवाद करुं उतना ही कम है।
अब तक नारद जी को सारी बात समझ आ चुकी थी। उन्होंने उस बालक को आशीर्वाद दिया और सीधे भगवान विष्णु के पास जाकर उनके चरण पकड़ लिये। इसके बाद उनसे माफी मांगते हुए बोलें, प्रभु मुझे मांफ कर दीजीए, मैं आपकी लीला नहीं समझ पाया। आज मुझे पता चल गया कि इस नाम में कितनी ताकत है, ये नाम सुनने या फिर कहने से मनुष्य को न सिर्फ पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि तरह- तरह कि योनियों से भी छुटकारा मिलता है। उस आत्मा को मनुष्य योनी में जन्म मिल जाता है। जिसमें वो श्री हरि का नाम लेकर और अच्छे कर्म कर के जीवन- मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है।
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