हमारे बड़ें-बुजुर्गों का कहना है कि शादी कोई गुड्डे-गुडियों का खेल नही होता और इसी वजह से हमारी भारतीय संस्कृति में शादी में हर वो रसम की जाती है.. जिससे दूल्हा- दुल्हन की आने वाली जिंदगी खुशहाल रहें.. ऐसे ही एक खास रिवाज है लड़का-लड़की की कुंडली मिलाने का। लेकिन क्या कुंडली मिलाना सदियों से चली आ रही सिर्फ एक परंपरा है…या फिर इसके वाकई कोई फायदे भी हैं।
ज्योतिष शास्त्र की माने तो शादी से पहले लड़का-लड़की की कुंडली मिलाना बहुत जरुरी होता है। इससे दोनों एक दूसरे की हेल्थ, कैपबिल्टी, करियर, आपसी समझ, फाइनेनशियल कंडिशन, संतान प्राप्ति जैसे कई बातों के बारें में लगभग पता लगा सकते है। वैसे तो जीवन और मृत्यु किसी के हाथ में नही होती, लेकिन कुंडली के जरिये आयु का भी लगभग पता लगाया जा सकता है।
कुंडली मिलाते समय जिस बात का खास ध्यान रखा जाता है, वो है गुण। इसमें गुणों का मिलना बेहद जरुरी माना जाता है। वैसे तो कुंडली में कुल 36 गुण होते है, पर अगर किसी लड़के और लड़की के 18 या फिर इससे कम गुण मिलते है, तो माना जाता है कि उनकी शादी के असफल होने के चांसेज ज्यादा होते है। वही अगर किसी के 18 से 24 गुण मिलते है। तो ऐसे में उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी तो रहती है, लेकिन उसमें समस्याएं भी आती-जाती रहती है।
इतना ही नहीं हिंदु शास्त्रों में कहा गया है कि कुंडली मिलाते समय जिनके 25 से 32 गुण मिलते है, उनके वैवाहिक जीवन सफल रहता है, उनकी शादी में कोई समस्या नही आती और अगर आती भी है, तो उससे उनके रिश्ते में कुछ खास असर नही होता है।
वही जिनके 36 के 36 गुण मिलते है, उनके जीवन को बेहद तकलीफों से भरा हुआ बताया जाता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान राम और माता सीता की कुडंली में 36 गुण मिले थे, लेकिन उनका जीवन दुखों से भरा था। इस वजह से कई लोग इस स्थिति को सही नही मानते है।
दोस्तों, कुंडली मिलान के समय जो दूसरी सबसे अहम बता है वो है मांगलिक दोष। कुंडली मिलाते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए की लड़का-लड़की की कुंडली में मांगलिक दोष न हो। शास्त्रों की माने तो मांगलिक लड़के की शादी मांगलिक लड़की से ही होनी चाहिए। अगर ऐसा नही होता है तो अशुभ घटना होने का डर लगा रहता है, यहां तक की लड़के या लडकी की जिदंगी पर मौत का खतरा भी मंडराने लगता है। इतना ही नहीं उनके वैवाहिक जीवन में कलह बनी रहती है, मन शांत नही रहता और आपस में मतभेद भी बना रहता है। कई बार तो कपल को संतान सुख भी नही मिलता पाता, ऐसे में इस बात पर ध्यान देना और भी जरुरी हो जाता है।
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क्या आपने कभी सोचा कि कुंडली मिलाते समय गृह-नक्षत्रों को इतना महत्व क्यों दिया जाता है और इसका शादीशुदा जिदंगी में क्या असर होता है।
आपको बता दें,गृहों के अनुसार ही हमारे चरित्र, आचार-विचार, व्यवहार और आचरण तय होते है और कुंडली मिलवाते समय इन सभी की सही जानकारी मिल जाती है। इससे हम लडका-लड़की के व्यवहार के बारे में तो पता कर ही सकते है इसके साथ ही हमें ये भी पता चलता है कि कौन सा गृह-नक्षत्र आपके होने वाले पार्टनर की लाइफ को किस तरह से प्रभावित कर सकता है। जिससे समय रहते आप कोई उपाय कर के अपनी तथा अपने पार्टनर की जिंदगी में होने वाली अनहोनी को रोक सकते है या फिर उसके प्रभाव को कम भी कर सकते है।
वही बात अगर वैदिक शास्त्र की करें तो शादी के बाद आदमी-औरत स्वाभाविक रुप से एक ही माने जाते है और इस वजह से दोनों का भाग्य एक-दूसरे के भाग्य को प्रभावित भी करता है। ऐसे में अपने पार्टनर की जिंदगी से जुडी बातें पहले से जान लेने में ही भलाई है।
दोस्तों कुंडली मिलाना कितना जरुरी होता है और इसके क्या फायदे है ये तो हमने आपको बता दिया, पर वो कौन सी बातें है, जिनका कुंडली मिलाते समय आप को खास ध्यान रखना चाहिए।
आपको बता दें, कुंडली मिलाने के लिए किसी ऐसे पंडित के पास ही जायें जिसपर आपको भरोसा हो, जिसे ज्योतिष विद्या का सही ज्ञान और समझ हो। कुंडली मिलान के लिए अपने तथा अपने होने वाले पार्टनर के सही नाम, जन्म की तिथि, स्थान और समय, सभी की सही जानकारी अपने पंडित को दें, क्योंकि ज़रा-सी गलती से पूरी कुंडली बदल जाती है।
क्या आपको पता है कि कुंडली मिलाते समय उसमें आने वाली समस्याओं के लिए क्या करना चाहिए…
दरअसल, कभी-कभी ऐसा होता कि अच्छा लड़का या फिर लड़की तो मिल रही होती है, लेकिन दोनों के गुण नही मिलते। ऐसे में पंडित और ज्योतिषि से पूछने पर उनके द्वारा कई तरह की पूजा, व्रत, उपवास जैसे उपाय भी बताये जाते है, जिससे आप अपनी कुंडली के दोष को दूर कर के अपने पार्टनर के साथ अपना वैवाहिक जीवन शुरु कर सकते है।
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