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भगवान् विष्णु के पांच छल – FIVE DECEIT OF LORD VISHNU IN HINDI

by
LORD VISHNU

भगवान् विष्णु ने जगत को अधर्म और अत्याचार से बचाने के लिए कई छल किये। वैसे तो श्री हरि विष्णु जगत के पालनहार है | पुराणों में बताया गया है की उन्होंने कई बार देवताओ को उभारने के लिए और लोक हित में छल और कपट का सहारा लिया है | आइये जानते है भगवान विष्णु द्वारा किये गये मुख्य 5 छल के बारे में…

1.भस्मासुर के साथ छल

भस्मासुर  शिव की घोर तपस्या करके उनसे यह वरदान प्राप्त किया था की वो जिस किसी के ऊपर हाथ रखेगा वो भस्म हो जायेगा। भोले तो भोले है उन्होंने उसको यह वरदान दे दिया। भस्मासुर वरदान पाकर शिव शंकर को ही भस्म करना चाहता था| त्रिपुरारी शिव अपनी रक्षा के लिए इधर उधर भागने लगे | तब भगवान् विष्णु ने छल का सहारा लिया। वे अति सुन्दर कन्या का रूप धारण करके प्रकट हुए। उस सुन्दर कन्या को देखकर भस्मासुर उनपर मोहित हो गया। वो शिव को छोड़कर उस कन्या के पास गया और शदी का प्रस्ताव दिया। तब विष्णु रुपी कन्या ने शर्त रखते हुए कहा की यदि वो उनकी तरह ही नृत्य कर सके तो वो उनसे शादी कर लेगी |भस्मासुर यह शर्त मान गया और भूल से नृत्य करता करता अपना ही हाथ अपने सिर पर रख लिया  और भस्म हो गया।

2.. तुलसी के साथ छल

तुलसी जी अपने एक जन्म में वृंदा नाम की एक लड़की थी। वह विष्णु की परम भक्त थी | गणेश के श्राप के कारण उनका विवाह एक दैत्य जालंधर के साथ हुआ | जब भी जालंधर किसी युद्ध के लिए प्रस्थान करता , उसकी पत्नी वृंदा अपनी भक्ति में लीन हो जाती | इसी कारण जालंधर की रक्षा वृंदा की भक्ति करती थी | उसका दैत्य पति इस कारण अजय और अमर होने लगा और उसका अत्याचार तीनो लोको में फैलने लगा | देवी देवता ऋषि मुनि तब विष्णु जी की शरण में गये और जालंधर का वध करने की विनती करने लगे | विष्णु जी अच्छे से जानते थे जब तक जालंधर  के पीछे वृंदा की पतिव्रता शक्ति रहेगी तब तक वो मर नही सकता |

जालंधर का वध

एक दिन जालंधर युद्ध के लिए गया हुआ था , भगवान् विष्णु उसी का रूप धारण किया और वृंदा के पास पहुँच गये | वृंदा उन्हें पहचान नही पाई और विष्णु ने उसका सतीत्व भंग कर दी | उधर दैत्यराज जालंधर कमजोर पड़ गया और देवताओं ने जलंधर का सिर धड़ से अलग कर दिया जो आकर वृंदा के चरणों में पड़ा | तब उसने विष्णु से पूछा की वो कौन है | विष्णु जी तब अपने वास्तविक रूप में आये | वृंदा को विष्णु जी का छल बहुत बुरा लगा और उन्होंने उन्हें श्राप दे दिया की वो काले पत्थर शालिग्राम जी बन जाये | भगवान को पत्थर का होते देख पूरी सृष्टी में हाहाकार मच गया, समस्त देवता त्राहि-त्राहि पुकारने लगे, तब माता लक्ष्मी ने गिड़गिड़ाते हुए वृंदा से प्रार्थना की तब वृंदा ने जगत कल्याण के लिये अपना शाप वापस ले लिया और खुद जलंधर के साथ सती हो गई फिर उनकी राख से एक पौधा निकला जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी नाम दिया गया।

जालंधर की कथा भी अवश्य पढ़ें।

3. मोहिनी बनकर असुरो के साथ छल : भगवान् विष्णु

देवताओ और असुरो ने मिलकर जब समुन्द्र मंथन किया तो उसमे सबसे अनमोल घड़ा अमृत का निकला | असुरो से इसकी रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर दैत्यों के साथ छल किया और इस अमृत से उनको वंचित रखा |

समुद्र मंथन की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

4. दैत्यराज बलि के साथ कपट : भगवान् विष्णु

एक बार दैत्य गुरु शंकराचार्य के सानिध्य में महादानी बलि यज्ञ करा रहे थे | इस यज्ञ के पूर्ण होने को लेकर देवतागण चिंतित हो गए | तब भगवान् विष्णु फिर से एक बार लोक कल्याण के लिए दैत्यों के साथ छल किया। भगवान विष्णु वामन अवतार धारण करके बलि के पास पहुंचे और तीन पग जमीन की भिक्षा मांगी। बलि ने सदाहरण ब्राह्मण समझकर उन्हें यह भिक्षा दे दी। पर तीन पग में वामन भगवान ने तीनो लोक और बलि का सिर भी  नाप लिए।  बलि के महादान के कारण वे उन्हें पाताल लोक में अमर रहने का वरदान दिया।

5. नारद के साथ छल : भगवान् विष्णु

एक बार देवर्षि नारद को अहंकार हो गया की कोई भी उनके ब्रह्मचर्य को भंग नही कर सकता है।  नारद के इस घमंड को दूर करने के लिए विष्णु भगवान ने एक लीला रची | इस लीला में नारद को एक अत्यंत सुंदरी के दर्शन हुए जो नारद को अपने स्वयंवर में आने का आमंत्रण दे रही थी | नारद का बस अब यही लक्ष्य था की वो उस सुंदरी से विवाह करे। नारद विष्णु लोक गए और हरि से उनका रूप मांग माँगा।  विष्णु जी उन्हें हरि (वानर ) का रूप प्रदान किया।  और नारद वहां से   उस राजकुमारी के स्वयंवर में चले आये।

 वहा सभी नारद के वानर रूप को देख हंसाने लगे। पर नारद यह बात समझ नही पाए। राजकुमारी ने किसी और राजकुमार को अपना पति चुन लिया। तब शिव जी के दो गण नारद को आईने में उनका चेहरा दिखाया।  नारद जी बहुत क्रोधित हुए और समझ गए की यह विष्णु का ही किया हुआ छल कपट है। उसके बाद नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया की आने वाले समय में वो भी स्त्री वियोग के दर्द को झेलेंगे | तब उस श्राप के कारण श्री राम भगवान विष्णु के अवतार के रूप में त्रेता में जन्म लेना पड़ा।

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