शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र हैं. उनकी दृष्टि भयभीत करने वाली है. कहा जाता है कि शनि देव की दृष्टि जिस पर भी पड़ जाए उस व्यक्ति का विनाश हो सकता है. शनिदेव की ऐसी दृष्टि उन्हें मिले एक श्राप के कारन है. आज की कड़ी में हम आपको शनिदेव को मिले भयानक श्रापों के विषय में बताएँगे. आइये शुरू करते हैं
पत्नी का श्राप
शनि के दो विवाह हुए थे। पहली पत्नी का नाम नीलिमा था और दूसरी पत्नी मांदा थीं। मांदा को धामिनी भी कहा जाता है। मांदा चित्ररथ की पुत्री थीं। शनिदेव कृष्ण के भक्त थे। वो एक बार भगवान कृष्ण के ध्यान में लीन थे। तभी उनकी दूसरी पत्नी धामिनी पुत्र प्राप्ति की इच्छा से उनके समक्ष पहुंची। परन्तु ध्यान में मग्न शनि ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और स्तुति में लीन रहे। वो बहुत देर तक प्रतीक्षा करती रहीं परन्तु शनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। तब मांदा ने क्रोधित होकर शनिदेव को श्राप दिया कि वो जिस पर भी दृष्टि डालेंगे उसका विनाश हो जायेगा। जब शनिदेव को अनुभव हुआ कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके बाद से ही शनिदेव केवल उन पर ही दृष्टि डालते हैं जिनको उन्हें पापों का दंड देना होता है।
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माँ पार्वती का श्राप
जब भी हम कुंडली के माध्यम से अपने जीवन के विषय में जानते हैं। प्रायः देखा जाता है कि सभी ग्रह तीव्र गति से राशि परिवर्तन करते हैं परन्तु शनि की गति बहुत धीमी होती है। यहाँ तक की शनि वर्षों तक एक ही राशि में रहते हैं। शनि की इस धीमी गति का कारण और कुछ नहीं अपितु पार्वती माँ के द्वारा दिया गया श्राप है ।
लंगड़ा होने का श्राप
एक बार शनिदेव कैलाश पर्वत पहुंचे। उन्होंने अपनी दृष्टि नीचे की हुई थी। माँ पार्वती ने उनसे इसका कारण पूछा ।तब उन्होंने कहा कि उनकी दृष्टि से किसीको भी बहुत हानि पहुँच सकती है। यह सुन माँ पार्वती उनका उपहास करने लगीं और उन्होंने अपने पुत्र गणेश को वहां बुलाया। जैसे ही शनि की दृष्टि गणेश जी पर पड़ी उनका मस्तिष्क धड़ से अलग हो गया। तब क्रोध में पार्वती ने श्राप दिया कि वो अंग विहीन हो जायेंगे। शनिदेव के चेतावनी देने के पश्चात भी उन्हें ऐसा श्राप स्वीकार करना पड़ा। इस श्राप के कारण शनि लंगड़े हो गए और उनके चलने की गति धीमी हो गयी। जब पार्वती जी का क्रोध शांत हुआ तो वो अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकती थीं परन्तु इसका प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने शनि को वरदान दिया कि वो सभी ग्रहों के राजा होंगे।