मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में शादी के बंधन को एक समझौता नहीं बल्कि सात जन्मों का बंधन माना है। इतना ही नहीं सनातन धर्म में सदैव ‘एक पुरुष-एक स्त्री’ की बात की गई है अर्थात पुरुष के जीवन में एक महिला और महिला के जीवन में सिर्फ एक ही पुरुष होना चाहिए…
लेकिन अगर हम ये कहें कि वैदिक परंपरा के अनुसार ऐसा बिलकुल नहीं है… तो आपको कैसा लगेगा..???
जी हां…आपको जानकर हैरानी होगी कि वैदिक परंपरा के अनुसार हर स्त्री के चार पति होते हैं…और जिस पति के साथ स्त्री अपना पूरा जीवन व्यतीत करती है… वो असल में उसका चौथा पति होता है…तो बाकी के तीन पति के बारे में जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ वीडियो के अंत तक
नमस्कार मित्रों आप सभी का एक बार फिर स्वागत है the divine tales पर…
मित्रों हिंदू धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 कर्म अनिवार्य बताए गए हैं… जिन्हे 16 संस्कारों के नाम से भी जाता है…
वैसे तो ये सभी संस्कार अनिवार्य हैं… लेकिन विवाह संस्कार की बात करें तो कहा जाता है कि जीवन में विवाह एक बार और सिर्फ एक ही इंसान से किया जाता है… यहां तक कि हिंदू विवाह में 7 अंक का इस कदर महत्व है कि सात जन्म से लेकर सात फेरे और फिर शादी में सात वचन भी कहे जाते हैं.
उन्हीं वचनों में से तीसरा वचन है, जिसका जिक्र बेहद जरूरी है, इसमें कन्या होने वाले पति से कहती है कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं यानि कि युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में मेरा पालन करते रहेंगे तो मैं आपकी जीवनसाथी बनने को तैयार हूं.
अर्थात हर अवस्था में कन्या अपने पति की जीवनसंगिनी होती है…अब आप भी सोच रहे होंगे कि अगर विवाह एक बार होता है और स्त्री हमेशा अपने पति क साथ निभाती है तो फिर एक स्त्री के चार पति कैसे संभव हैं…?
तो आपको बता दूँ कि वैदिक परंपरा में एक नियम है जिसके अनुसार एक स्त्री अपनी इच्छा से चार लोगों को अपना पति बना सकती है। और आपने कई पौराणिक कथाओं में ये देखा भी होगा कि एक महिला ने कई पुरुषों से विवाह किया है…अब आप सोच रहे होंगे कि अगर वैदिक परंपरा में स्त्रियों के चार पति होने का नियम है तो फिर वो तीन पति कौन हैं…जिनके साथ हर स्त्री का विवाह किया जाता है… और हमें इसकी जानकारी क्यों नहीं है …
तो चलिए सबसे पहले स्त्रियों के चार पतियों के बारे में जान लेते हैं….
मित्रों विवाह के समय सबसे पहले कन्या का अधिकार चन्द्रमा को सौंपा जाता है… इसके बाद विश्वावसु नाम के गंधर्व को और फिर कन्या को अग्निदेव को सौंप दिया जाता है… और अंत में उसका विवाह उसके पति से किया जाता है…
अब आपके मन भी सवाल उठ रहे होंगे कि अगर ऐसा है तो फिर आपको इसकी जानकारी क्यों नहीं होती… दरअसल… मित्रों विवाह के दौरान पंडितजी जिन मंत्रों का उच्चारण करते हैं वो संस्कृत में होते हैं… और हम मैं से ज्यादातर लोगों को संस्कृत समझ नहीं आती, ऐसे में जब इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है तो ये हमारी समझ से परे हो जाते हैं…
…दूसरा कारण ये है कि आजकल चट मंगनी-पट ब्याह वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है. अधिकतर शादियों में ऐसा देखने को मिलता है कि लोग शादी के लिए सजावट से लेकर अन्य कामों पर काफी खर्च करते हैं लेकिन पंडितजी को दान देने में संकोच करते हैं…
यहां तक कि विद्वान पंडित को बुलाने की बजाय शादी की अन्य रस्मों की तरह ही ऐसे पंडित बुलाए जा रहे हैं जिन्हें संस्कारों और धर्मो का ज्यादा ज्ञान नहीं है… ऐसे में विवाह पहले की तरह यानी की सभी रस्मों से अब नहीं हो रहे हैं. इसलिए इस वजह से भी शायद आपको ये पता नहीं चला कि एक स्त्री के चार पति होते हैं….
अब चलिए ये जान लेते हैं कि आखिर वो क्या कारण है जिसकी वजह से एक स्त्री का चंद्रमा, विश्वावसु और अग्नि से विवाह किया जाता है…
तो इसका जवाब ऐसे समझिए की वैदिक परंपरा के मुताबिक तो एक स्त्री को चार पति रखने का अधिकार दिया गया है… लेकिन इससे समाज में अव्यवस्था फैल सकती है… जिसे देखते हुए ऋषि श्वेतकेतु ने इस परंपरा में बदलाव किया…
एक पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि श्वेतकेतु ने उस समय महिला और पुरुष को यौन संबंधों के मामले में मिली आजादी पर प्रतिबंध लगाया और एकल पत्नी-पति विवाह की प्रथा को जन्म दिया…
दूसरी तरफ वैदिक परंपरा को जीवित रखने के लिए महिला का विवाह तीन देवताओं से करा दिया ताकि 4 पतियों की पत्नी होने का अधिकार भी सुरक्षित रहे और समाज में व्यवस्था भी बनी रहे… तो मित्रों अब आप समझ गए होंगे कि एक स्त्री के चार पति क्यों होते हैं…
उदाहरण के तौर पर आप द्रौपदी स्वयंवर को ही ले लीजिए… द्रौपदी ने उस समय की व्यवस्था से आगे बढ़कर पांच पुरुषों को अपना अपना पति स्वीकारा था…
मित्रों पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वृक्ष कन्या मारिषा का भी एक से ज्यादा पुरुषों से विवाह हो चुका है…
एक मान्यता के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद इसके संचालन के लिए ब्रह्माजी ने अपने 10 मानष पुत्रों को उत्पन्न किया.. जिन्हें प्रचेता कहा गया है… और ब्रह्माजी ने अपने इन 10 मानष पुत्रों को सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी…
बता दें कि चंद्रमा ने इन 10 प्रचेताओं का विवाह वृक्ष कन्या और यक्ष की बहन मारिषा से कराया… और प्रचेताओं से विवाह होने के कारण इन्हें प्रचेती और प्रचीती नाम से जाना गया…
प्रचेताओं और चंद्रमा के आधे-आधे तेज से मारिषा ने दक्ष प्रजापति को जन्म दिया… फिर दक्ष प्रजापति ने ही सृष्टि संचालन का कार्य आगे बढ़ाया और मैथुनी सृष्टि का विकास हुआ….
मित्रों वृक्ष कन्या मारिषा के अलावा जटिला भी थीं… जिनके 7 पति थे… धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि गौतम ऋषि के कुल में जटिला नाम की कन्या ने जन्म लिया था… जिनका विवाह 7 ऋषियों से किया गया था…
तो मित्रों उम्मीद करता हूँ कि अब आप जान गए होंगे की स्त्रियों के चार पति कौन कौन होते हैं और अगर ये वीडियो पसंद आई हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर कीजिएगा… मैं फिर लौटूंगा ऐसी कुछ और धार्मिक जानकारियों के साथ… तब तक के लिए अपना और अपनों का ख्याल रखें… धन्यवाद….