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जब नासा ने कैलाश पर लगाए सेटेलाइट, जो दिखा वो हैरान करने वाला था

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जब नासा ने कैलाश पर लगाए सेटेलाइट, जो दिखा वो हैरान करने वाला था

दोस्तों, माउंट एवरेस्ट कैलाश पर्वत से भी ऊंचा है फिर भी उस पर तो कई लोग चढ़ चुके हैं। लेकिन कैलाश पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया। आखिर क्यों न तो इसके ऊपर कभी हेलिकॉप्टर ले जाया जा सकता है और न ही जहाज।


इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए 2015 से 16 के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गूगल अर्थ और सेटेलाइट की मदद से कैलास पर रिसर्च शुरू की। बता दें, गूगल अर्थ के जरिए जो फुटेज सामने आईं उसने नासा और गूगल के भी होश उड़ा दिए। जी हां दोस्तों, उन्होंने सैटेलाइट की मदद से कैलास पर्वत की जब तस्वीरों को देखा तो वहां पर कोई और नहीं बल्कि खुद भगवान शिव ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे।


वैसे यह सुनने में आपको थोड़ा हैरान कर देने वाला लग रहा होगा लेकिन यह सच है। उन तस्वीरों में साफ रूप से देख रहा था कि भगवान शिव किस तरह कैलाश पर ध्यान में लीन हैं। यह साक्षात ईश्वर है जो कैलास पर्वत पर निवास करते हैं और हम जैसे लोग जो न तो पवित्र आचरण के हैं और न ही हमारे पास आध्यात्मिक जीवन शैली है।


दोस्तों, ऐसा नहीं है कि कभी किसी ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश नहीं की… 2001 में चीन ने स्पेन और रूस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कैलास पर चढ़ने की कोशिश की थी।


बता दें, टीम कैलास पर चढ़ने में सफल तो नहीं हो सकी लेकिन जो उन्होंने वहां महसूस किया वह हैरान कर देने वाला था। उन्होंने बताया था कि जब वो कैलास पर चढ़ने का सीधा रास्ता खोज लिए थे और जैसे ही उस पर आगे बढ़े तो भयंकर बर्फबारी शुरू हो गई थी और बर्फ ने उस रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया था।


वहीं रूस के एक पर्वतारोही ने बताया कि जब वह कैलास के नजदीक पहुंचे तब उनका दिल जोरों से धड़कने लगा था। घबराहट भी हुई और अंदर से आवाज आई कि उन्हें आगे नहीं जाना चाहिए जिसके बाद वह सभी नीचे आ गए और उनका मन भी हल्का होने लगा।
इसके साथ ही कैलाश में चढ़ने वाले एक वैज्ञानिक ने बताया कि कैलाश पर चढ़ना पूरी तरह से नामुम्किन है। इसके पीछे कारण बताते हुए क्योंकि कैलास पर्वत किसी अदृश्य शक्ति द्वारा संरक्षित किया गया है।


और तो और एक वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार कैलाश एक पिरामिड की तरह है जो बिल्कुल दिशा बताने वाले कम्पास के तरीके से काम करता है।
इतना ही नहीं कुछ का तो यह भी मानना है कि यह किसी पुराने मानव या किसी दिव्य शक्ति के जरिए बनाया गया है।
इसके निर्माण को लेकर बातें यहीं नहीं रुकी एक वैज्ञानिक मान्यता यह भी है कि लगभग 10 करोड़ सालों पहले यहां पर एक समुद्र था। भारतीय उप महाद्वीप का रसियन महाद्वीप से टकराने के बाद यह हिमालय पर्वत श्रेणी का निर्माण हुआ।


वहीं पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, कैलाश पर्वत के पास कुबेर की नगरी भी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां भोलेनाथ उन्हें अपनी जटाओं में भरकर पृथ्वी पर निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। इस अद्भुद पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है।


वहीं कुछ और भी कैलाश पर्वत के बारे में रहस्य जिसे आपके लिए जानना ज़रूरी हैं।

पहला रहस्य

धरती का केंद्र :

धरती के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है, तो वहीं दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। इन दोनों के बीचोबीच हिमालय स्थित है। इस विशालकाय हिमालय का केंद्र कैलाश पर्वत को कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का भी केंद्र है। इस पर्वत पर दुनिया के चार मुख्य धर्मों यानि हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख समुदाय के लोग रहते है।

दूसरा रहस्य


अलौकिक शक्ति का केंद्र

यहां एक ऐसा भी केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी का मतलब है आकाशीय या भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच
का एक केंद्र है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। इतना ही नहीं कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर कई अध्ययन किये जा चुके है. वहीं यहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और तो और उन शक्तियों के साथ संपर्क भी किया जा सकता हैं।

तीसरा रहस्य

सरोवरों का रहस्य :

यहां दो सरोवर खास है- पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उत्तम और उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य की तरह है। दूसरे सरोवर का नाम राक्षस झील है, जो दुनिया की खारे पानी की झीलों में से एक है. वहीं इसका आकार चन्द्र के समान है। इन दोनों झीलों का संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। लेकिन यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या इन्हें ऐसा बनाया गया…
दोस्तों,अगर आप इससे जुडी पूरी वीडियो देखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

https://www.facebook.com/watch/?v=835058817554452

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