रतनगढ़ वाली माता का नाम पुरे भारत भर में प्रसिद्ध है | यह मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया नामक स्थान से 55 किलोमीटर दूर व झाँसी से 70 किलोमीटर दूर सिंध नदी के किनारे स्थित है | इस मंदिर में स्थित माता माडुला देवी एवं कुवर महाराज के दर्शन के लिए भारत ही नही बल्कि विदेशों से भी लोग आते है | इस मंदिर का निर्माण कई वर्षो पूर्व हुआ था | इस मंदिर का संबंध मुगलों और छत्रपति शिवाजी के जीवन से जुड़ा हुआ भी है | जब मुगलों ने छत्रपति शिवाजी को बंधी बना लिया था |
रतनगढ़ वाली माता
तब स्वामी रामदास और दादा कोण देव महाराष्ट्र से आकर रतनगढ़ आकर रुके थे | और यह पर उन्होंने माँ की साधना कि थी | इस मंदिर की यह भी मान्यता है, की अगर किसी व्यक्ति को साप ने काट लिया है | तो माँ के मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति के शरीर में स्थित जहर तुरंत ख़त्म हो जाता है | दोस्तों यदि आप रतनगढ़ वाली माता के बारे जानना चाहते है | तो यह लेख के द्वारा आप रतनगढ़ वाली माता के बारे में पूरी तरह जान सकते है | तो आइये जानते है, माँ रतनगढ़ वाली माता के बारे में विस्तार से…
इस जगह का महत्व
रतनगढ़ वाली माता की महिमा की अगर बात करे तो इस मंदिर में हुए चमत्कार बहुत सारे है | यदि इस मंदिर में नव्रत्र्री के समय पैदल चलकर माता के दर्शन किये जाये | तो माता व्यक्ति के मन की इक्छा पूर्ण करती है | यह स्थित कुवर महाराज के मंदिर में अगर भाई दूज वाले दिन यानि (दीपावली के अगले दिन ) यदि आप कुवर महाराज के मंदिर के दर्शन के लिए यहाँ दूर दूर से लोग आते है | भाई दूज वाले दिन (दीपावली के अगले दिन ) कुवर महाराज के दर्शन बहुत ही अच्छा माना जाता है | मान्यताओं के द्वारा कुंवर महाराज को रतनगढ़ वाली माता का भाई माना जाता है | कहते है कि जब शिकार के लिए जंगल में जाए करते थे |
तब वह स्थित सभी साप अपना जहर बहार निकाल दिया करते थे | इसी वजह से ही यदि किसी व्यक्ति को साप काट लेता है | तो उसको बचाने के लिए इसी मंदिर में लाया जाता है | इस मंदिर का निर्माण वीर मराठा शिवाजी ने मुगल को पराजित करने के पश्चात बनवाया था | इस मंदिर पर प्रसाद के तौर पर घंटा चढाने कि मान्यता होती है | अभी कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश का सबसे वजनी घंटा मां को अर्पण किया है | यदि मदिर के आस पास पेड़ों की लकड़ी को घर में रखा जाये तो इससे आपके घर में कभी भी कोई साप प्रवेश नही करेगा |
मंदिर खुलने का समय : रतनगढ़ वाली माता
रतनगढ़ मंदिर के खुलने का समय सुबह सात बजे पहली माँ की आरती होती है | उसके बाद शाम को दस बजे माँ की शाम की आरती होती है | नवरात्री के अंतिम दिन यहाँ रात के 12 बजे भी एक आरती की जाती है | आप माँ के प्रसाद के रूप में अपनी इक्छा अनुशार लड्डू, चुनरी व नारियल कुछ भी ले सकते है |
यहाँ मनाया जाने वाला पर्व : रतनगढ़ वाली माता
इस मंदिर में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व नवरात्री व भाईदूज है | नवरात्री वाले दिनों में यहाँ दूर दूर से लोग पैदल चलकर माता के दर्शन के लिए आते है | इन दिनों में माता के दर्शन करने से मन को शांति व घर में खुशहाली बनी रहती है | भाई दूज वाले दिनों में कुवर महाराज के मंदिर में अत्यधिक भीड़ एकत्र होती है | इस दिन कई ऐसे लीग भी आते है | जिनको साप ने काटा होता है | कहते है कि यदि भाई दूज वाले दिन कुवर महाराज के दर्शन करने से शरीर में एकत्र जहर तुरंत शरीर के बहार निकल जाता है | आपको माँ के दर्शन के लिए नवरात्री व भाईदूज पर जरुर आना चाहिये |
रुकने की जगह : रतनगढ़ वाली माता
यदि आप बहार से यहाँ माँ के दर्शन के लिए आ रहे है | तो आप यह स्थित कई होटल में आराम से अपनी रात व दिन गुजार सकते है | और माँ के दर्शन बहुत ही आराम से कर सकते है |
यहाँ पहुँचने का मार्ग
ट्रेन द्वारा
इस मंदिर के दर्शन के लिए आप भारत के किसी भी कोने से आ सकते है | आप झाँसी, दतिया व ग्वालियर स्टेशन के माध्यम से यह तक आसानी से पहुँच सकते है | सबसे पहले आप झाँसी,दतिया व ग्वालियर के बस स्टेंड पर जाकर रतनगढ़ वाली माता जाने वाली बस के द्वारा श्री रतनगढ़ माता रोड, मध्य प्रदेश 475682 पहुँच सकते है |
हवाई यात्रा के द्वारा
रतनगढ़ मंदिर के सबसे नजदीक हवाई अड्डा ग्वालियर में स्थित आप ग्वालियर हवाई अड्डा पर उतारकर आसानी से बस लेकर माता के मंदिर तक पहुँच सकते है |
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग के द्वारा भी आप इस माता के दर्शन आसानी से कर सकते है | आपको सड़क के द्वारा माता के मंदिर पहुचने के लिए अपने मोबाइल के गूगल मैप पर रतनगढ़ माता रोड, मध्य प्रदेश 475682 एड्रेस को दाल कर आसनी से माता के दर्शन कर सकते है |