काली माता मंदिर माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ बंगाल की राजधानी कलकत्ता में उत्तरी दिशा में विवेकानंद पुल के पास स्थित प्राचीन मंदिर है | मान्यता है की माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियाँ यहाँ गिरी थी | इस मंदिर का निर्माण 1847 के आसपास यहाँ रहने वाली विधबा रानी रासमणि के द्वारा माता काली के आदेश पर करवाया गया था |
काली माता मंदिर परिसर –
इस मंदिर में माता की काले रंग की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है जिसमे जीभ हाथ और सोने के बने हुए हैं | मंदिर परिसर में ही बना एक चांदी का कमल का फूल है जिसमे हजार पंखुडियां है | यहीं माता काली भगवान् शंकर के ऊपर पैर रखे अवस्था में विराजमान है | मंदिर में 12 गुम्बद निर्मित है, जिनके बाहर शंकर भगवान् के 12 मंदिर बने हुए हैं | काली माता का यह मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर निर्मित 46 फीट चौंडा और 100 फीट ऊँचा है | स्वामी रामकृष्ण परमहंस को मंदिर का प्रधान पुजारी माना गया है मान्यता है रामकृष्ण परमहंस जी को यहाँ माता काली के साक्षात् दर्शन हुए थे | आज भी यहाँ परमहंस जी का भवन बना हुआ है इसी के बाहर पेढ़ के पास उनकी पत्नी की समाधी बनी हुई है |
मंदिर के निर्माण से जुडी कथा –
एक कथा प्रचलित है की यहाँ बहुत समय पहले एक रासमणि नाम की विधबा रानी निवास करती थी | रानी प्रतिवर्ष अपने सगे संबंधियों और नौकरों के साथ समुद्र के रास्ते काशी माता काली के दर्शन करने को जाया करती थी | हर वर्ष की तरह रानी इस वर्ष भी मंदिर जाने की तैयारी कर रही थी | जाने से एक दिन पहले रानी को स्वप्न आया की यहीं कलकत्ता में गंगा यानि हुगली नदी के किनारे मेरी प्रतिमा स्थापित करो में यहाँ साक्षात रूप से निवास करके सभी भक्तो के कष्ट दूर करके मनोकामनाएं पूरी करुँगी | रानी ने स्वप्न के अनुसार ही माता की प्रतिमा की स्थापना करवाई तथा विशाल भव्य मंदिर का निर्माण करवाया |
मंदिर से जुडी मान्यता –
काली माता के मंदिर से जुडी मान्यता है की यह माता तन्त्र मन्त्र की देवी है जिससे यह तांत्रिको का गढ़ हुआ करता था | काली माता के मंदिर में मांगी गयी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है | दर्शन मात्र करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते है |
आरती व दर्शन का समय –
काली माता के मंदिर में आने वाले श्रधालुओं की संख्या मंगलवार, शनिवार और अष्टमी के दिन बहुत अधिक बढ़ जाती है | मंदिर सुबह 5 बजे से रात के 10:30 बजे तक खुला रहता है जिसमे दोपहर में 2 से 5 बजे तक मंदिर को बंद कर दिया जाता है | मंदिर में सुबह 4 बजे मंगला आरती की जाती है जिसके बाद भक्तो के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं | सुबह 5:30 से 07:30 तक माता की नित्य आरती की जाती है, इसके बाद 02:30 से 03:30 तक प्रसाद राग और आखिर में शाम के 06:30 से 07:00 बजे तक माता की संध्या आरती की जाती है | इसके बाद रात में 10:30 बजे मंदिर के द्वारा भक्तो के लिए बंद कर दिए जाते है |
पर्यटन स्थल –
आप काली माता के मंदिर के आसापास और कलकात्ता शहर में और भी कई दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं :
- राधाकृष्ण मंदिर
- नतमोंदिर
- सोष्टिताल
- कुंडुपुकुर
- हरिकथ ताल
- विक्टोरिया मेमोरियल
- विलियम फोर्ट
- बेलूर मठ
- हावड़ा ब्रिज
- भारतीय संग्राहलय
- बिरला प्लेनेटोरियम
- साइंस सिटी
- बिरला मंदिर
कैसे पहुंचे –
आप काली माता मंदिर कलकत्ता आसानी से हवाई मार्ग, सडक मार्ग और रेल मार्ग तीनों के द्वारा आसानी से पहुँच सकते है :
हवाई मार्ग द्वारा – हवाई मार्ग द्वारा काली माता मंदिर आने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट नेताजी सुभाष चन्द्र बोष एयरपोर्ट है | यहाँ से आप बस या कार के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते है |
रेल मार्ग द्वारा – रेल मार द्वारा मंदिर आने के लिए हावड़ा और शैल्देह सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है | इसके अलावा जतिन दास पार और कालीघाट मेट्रो स्टेशन आकर भी आप यहाँ से टैक्सी के जरिये आसानी से मंदिर आ सकते है |
सड़क मार्ग द्वारा – सडक मार्ग द्वारा आप कलकात्ता में पहुंचकर आसानी से बस या कार व टैक्सी के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं |