चार दिशाओं में स्थित चार धाम हिंदुओं की आस्था के केंद्र में ही नहीं बल्कि पौराणिक इतिहास का आख्यान भी है। जिस प्रकार धातुओं में सोना, रत्नों में हीरा, प्राणियों में इंसान अद्भुत होते हैं। उसी तरह समस्त तीर्थ स्थलों में चार धामों की अपनी महत्वता है । जगन्नाथ पुरी मंदिर इन्ही चार धामों में से एक है । जगन्नाथ की पूरी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है। उड़ीसा प्रांत के पूरी में स्थित जगन्नाथ का मंदिर श्री कृष्ण भक्तों की आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि वास्तुकला का भी बेजोड़ नमूना है। इसकी बनावट के कुछ राज तो आज भी राज ही हैं। जिनका भेद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने वाले भी पता नहीं कर पाए हैं ।
जगन्नाथ पूरी मंदिर में प्रमुख देवता –
जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा आदि की मुख्य रूप से पूजा की जाती है | इन सभी मूर्तियों को एक रत्नों से जडित पत्थर के चबूतरे पर गर्भ गृह में स्थापित किया गया है | इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के निर्माण से पहले इन मूर्तियों की पूजा अर्चना कहीं और की जाती थी |
जगन्नाथ रथ यात्रा –
जगन्नाथ पुरी में मध्य काल से ही भगवान जगन्नाथ की हर वर्ष पूरे हर्षोल्लास के साथ रथ यात्रा निकाली जाती है। इसमें मंदिर के तीनों प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और भगिनी सुभद्रा को अलग अलग रथों में विराजमान किया जाता है। पूरी तरह से सुसज्जित इस रथयात्रा का नजारा भी भव्य दिखाई देता है। वर्तमान में रथयात्रा का चलन भारत के अन्य वैष्णव कृष्ण मंदिरों में भी खूब जोरों पर है। अब तो छोटे-छोटे शहरों में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन होता हैं।
प्रमुख त्यौहार –
जगन्नाथ पुरी मंदिर में रथ यात्रा के साथ साथ और भी कई त्यौहार जैसे – चंदना यात्रा,
स्नाना यात्रा, सयाना एकादसी, दक्षिणायण संक्रांति, पार्स्व परिव्रतन एकादसी, देव उत्थापना एकादसी, डोला यात्रा, दमनक चतुर्दशी, मकर संक्रांति, पुष्यभिशेका, निलाद्रिमाहोद्य आदि त्यौहार आदि बहुत धूम धाम व हर्षो उल्लास के साथ मनाये जाते है |
मंदिर का समय –
जगन्नाथ पूरी मंदिर भक्तो के लिए पूजन व दर्शन करने के लिए सुबह पांच बजे से रात के ग्यारह बजे तक खुला रहता है | मंदिर के खुले रहने पर दिन में कई बार प्रभु की कई तरह से पूजा आरती की जाती है | सुबह पांच बजे द्वारका और मंगला आरती इसके बाद छः बजे मैलम आरती इसमें भगवान् को पहनाये गए कल के कपडे और फूलों को हटाया जाता है इसके बाद नौ बजे गोपाल बल्लभ पूजा इसमें भगवान् को नाश्ता करवाया जाता है और आखिरी सुबह ग्यारह बजे मध्यान्ह धुप इसमें प्रभु को भोग लगाया जाता है |
मंदिर से जुडी कथा –
कहा जाता है, कि भगवान जगत के स्वामी जगन्नाथ भगवान श्री विष्णु की भगवान विष्णु की इंद्रनील या कहें नीलमणि से बनी मूर्ति एक अगरू वृक्ष के नीचे मिली थी। मूर्ति की भव्यता को देख कर धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपा दिया मान्यता है, कि मालवा नरेश इंद्रद्युम्न जो भगवान विष्णु के भक्त थे। उन्हें स्वयं श्री हरि ने सपने में दर्शन दिए और कहा कि पुरी के समुद्र तट पर तुम्हें लकड़ी का एक लट्ठा मिलेगा। उससे मूर्ति का निर्माण करवाओ। राजा जब तट पर पहुंचे तो उन्हें लकड़ी का गट्ठा मिल गया। उनके सामने यह प्रश्न था की मूर्ति किस से बनवाएं ? कहा जाता है कि भगवान विष्णु स्वयं श्री विश्वकर्मा के साथ एक बूढ़े मूर्तिकार के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि वह 1 महीने के अंदर मूर्ति का निर्माण कर देंगे लेकिन इस काम को एक बंद कमरे में अंजाम देंगे।
1 महीने तक कोई भी इसमें प्रवेश नहीं करेगा ना कोई ताक झांक करेगा चाहे वह राजा ही क्यों ना हो। महीने का आखिरी दिन था। कमरे से भी कई दिन से कोई आवाज नहीं आ रही थी। तो राजा से रहा नहीं गया और अंदर जाकर देखने लगी तभी बृहद मूर्तिकार दरवाजा खोलकर बाहर आ गया और राजा को बताया की मूर्तियां अभी अधूरी है। उनके हाथ नहीं बने हैं। राजा को अपने कृत्य पर बहुत पछतावा हुआ और बृहद से माफी भी मांगी लेकिन उन्होंने कहा कि देव की मर्जी है। तब उसी अवस्था में मूर्तियां स्थापित की गई। आज भी भगवान जगन्नाथ,बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियां उसी अवस्था में है।
पर्यटन स्थल –
जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन करने के साथ आप यहाँ आसपास के कई पर्यटन स्थलों का भी भ्रमण कर सकते हैं, जो निम्न प्रकार हैं :
- पुरी बीच
- चिल्का झील
- नरेन्द्र टैंक
- मारकंडेश्वर मंदिर
- लोकनाथ मंदिर
- गणेश मंदिर
- लक्ष्मी मंदिर
- स्वर्गद्वार बीच
- साक्षी गोपाल मंदिर
- विमला मंदिर
- गुडिचा मंदिर
- दया नदी
- सोनार गोरंगा मंदिर
- बालेश्वर बीच
- मौसैमा मंदिर
- गोल्डन बीच
आवागमन –
वैसे तो जब भक्त का बुलावा भगवान करते हैं। तो भक्त दुर्गम से दुर्गम स्थल पर भी पहुंच जाता है। जगन्नाथ पुरी पहुंचने के लिए रेल, सड़क व वायु किसी भी मार्ग से देश के किसी भी हिस्से से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हवाई मार्ग द्वारा – हवाई मार्ग द्वारा पुरी जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 60 किमी दूर भुवनेश्वर एयरपोर्ट है | यहाँ से आप बस, टैक्सी अथवा कार किसी भी माध्यम से मंदिर तक पहुँच सकते हैं |
रेल मार्ग द्वारा – पुरी ईस्ट कोस्ट टर्मिनल है जिसकी वजह से यह देश के विभिन्न शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है |
सड़क मार्ग द्वारा – सड़क मार्ग द्वारा पुरी आसपास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है | इसलिए आप बस, कार आदि के माध्यम से आसानी से पुरी पहुँच सकते हैं |