श्री गणेश को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती? जबकि तुलसी में अनेकों औषधीय गुण भी होते हैं । एक तुलसी का पत्ता प्रतिदिन खाने से शरीर के अनेकों रोग नष्ट हो जाते हैं । परन्तु जब गणेश जी की पूजा में तुलसी का पत्ता नहीं ,बल्कि दूब अर्पित की जाती है । यहाँ तक कि गणेश पूजा में तुलसी अर्पित करना वर्जित है । तो इतनी लाभकारी और पवित्र तुलसी गणेश जी को क्यों नहीं अर्पित की जाती?
गणेश जी की तपस्या
पौराणिक कहानी के अनुसार एक बार गणेश जी गंगा के तट पर तपस्या कर रहे थे । दूसरी ओर तुलसी अपने विवाह कि इच्छा लिए तीर्थ यात्रा पर निकलीं । तब रास्ते में उन्होंने तपस्या में लीन गणेश जी को देखा । गणेश जी पुरे शरीर पर चन्दन का लेप लगाए, रत्नों के हार धारण किये सिंहासन पर विराजमान थे । गणेश जी को देख तुलसी उन पर मोहित हो गयीं । और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा । जिससे गणेश का ध्यान भंग हो गया । गणेश जी को यह बात अच्छी नहीं लगी । तुलसी द्वारा किये गए इस कृत्य को अशुभ बताया । साथ ही उन्होंने स्वयं को एक ब्रह्मचारी बताकर विवाह के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया ।
गणेश जी का तुलसी को श्राप
तुलसी को बहुत दुःख हुआ और क्रोध में आकर उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया। तुलसी ने कहा की उनका विवाह उनकी इच्छा के अनुरूप नहीं होगा । चूँकि गणेश जी ने स्वयं को एक ब्रह्मचारी बताया था | इसलिए तुलसी ने यह भी श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे । इस पर गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी को श्राप दिया की तुलसी का विवाह असुर से होगा ।
एक दैत्य से विवाह कि बात तुलसी सहन नहीं कर पायीं | उन्हें अपनी गलती समझ में आयी । उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी । थोड़ा क्रोध शांत होने पर गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा । श्राप पूर्ण होने के पश्चात् तुम भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय मानी जाओगी । कलियुग में तुम्हारा महत्त्व इतना अधिक होगा कि तुम मोक्ष का पथ दिखलाओगी । परन्तु मेरी पूजा में तुम्हे अर्पित करना शुभ नहीं माना जायेगा । और इस प्रकार श्री गणेश कि पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित माना जाता है.इसलिए श्री गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती ?