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प्रेम और कामुकता में क्या है अंतर ?

by divinetales
प्रेम और कामुकता में क्या है अंतर

मित्रों… क्या आपके मन में कभी ये प्रश्न उठा है कि प्रेम और कामुकता में भेद क्यों किया जाता है? जबकि दोनों की अभिव्यक्ति तो एक सी है…

प्रेम मन के धरातल पर और कामुकता शारीरिक धरातल पर एक जैसे ही दिखाए देते हैं… फिर क्यों प्रेम को हमेशा ऊंचा दर्जा किया गया है… जबकि कामुकता भी तो उसी प्रेम का शारीरिक रूप है?

अगर आप भी इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो बने रहिए मेरे साथ इस वीडियो के अंत तक… क्योंकि इस वीडियो को देखने के बाद आपको समझ आने वाला है कि प्रेम और कामुकता एक जैसे दिखते जरूर हैं… लेकिन एक है नहीं…  

तो मित्रों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का एक बार फिर the divine tales पर…

मित्रों… भले ही आपको दोनों शब्द एक जैसे लगें… लेकिन हमारे धर्म शास्त्रों में दोनों को अलग-अलग परिभाषित किया गया है… औऱ दोनों में अंतर समझने के लिए सबसे पहले आपको दोनों के अर्थ समझने होंगे…

तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर प्रेम क्या है?

मित्रों प्रेम व्यक्तिगत लगाव, मजबूत स्नेह और मन की भावना है… अगर इसके दार्शनिक संदर्भ को समझें तो प्रेम एक सद्गुण है जो सभी मानव स्नेह, करुणा और दया को दर्शाता है…

वहीं अगर धार्मिक संदर्भ की बात करें तो ये सिर्फ एक गुण नहीं बल्कि ईश्वर से मन का मिलन है…

वैसे मित्रों हम ये भी कह सकते हैं कि प्रेम का एक अर्थ नहीं हो सकता क्योंकि हर मनुष्य के लिए इसके मायने अलग-अलग हैं.. प्रेम एक रिश्ता है जो एक पिता और बेटे के बीच हो सकता है… मां का उसकी संतान से प्रेम, पति और पत्नी के बीच, दो पुरुषों के बीच, पुरुष और महिला के बीच भी सकता है…

आप कहने को पशुओं से भी प्रेम कर सकते हैं… उन्हें चोट लगने पर आपको भी दर्द होता है…. लेकिन इसका भी कामुकता से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है…

उदाहरण के तौर पर श्री कृष्ण के लिए गोपियों का प्रेम, कर्ण का दुर्योधन के प्रति प्रेम और पांडवों का आपस में प्रेम ही देख लीजिए… ये तीनों ही मन के भाव हैं… गोपियां श्री कृष्ण के मन से प्रेम करती थीं ना कि उनके तन से… ऐसे ही कर्ण दुर्योधन को अपने मित्र के रूप में देखते थे… और यही कारण है कि कर्ण दुर्योधन से एक मित्र की भांती प्रेम करते थे…

वहीं दूसरी तरफ पांडवों का एक दूसरे से प्रेम भी किसी से छुपा नहीं है… लेकिन ये सभी प्रेम के अलग अलग प्रकार थे… जिन्हें आप प्रेम कह सकते हैं लेकिन कामुकता हरगिज नहीं…

हां आप ऐसा जरूर कह सकते हैं कि एक समय ऐसा भी आता है जब मन का शरीर से मिलन होता है… वो स्थिति पति पत्नि के बीच उतपन्न होती है… लेकिन उस शारिरिक संबंध को भी कामुकता का नाम देना उचित नहीं है… क्योंकि प्रेम ही उस शारिरिक संबंध का सार है…

ये शारिरिक संबंध तो है… लेकिन आप ये देखिए कि पति पत्नि के मन में क्या है? क्या आपको दोनों के मन में कामुकता मिलेगी? नहीं… आपको दोनों के मन में एक दूसरे के लिए अटूट प्रेम मिलेगा… ऐसा प्रेम जो कामुकता से कई गुना बड़ा है…

कामुकता क्या है?

मित्रों प्रेम से उल्ट कामुकता वो तरीका है जिससे लोग कामुक रूप से अपने आप को अनुभव और अभिव्यक्त करते हैं… इसमें शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक या आध्यात्मिक भावनाएं और व्यवहार शामिल हैं…  और क्योंकि ये शब्द बहुत व्यापक है, जिसका अर्थ समय के साथ बदलता है… इसलिए इसकी कोई सटीक परिभाषा है ही नहीं…

इसे आप दो विपरीत लिंग के बीच एक शारीरिक गतिविधि कह सकते हैं… या फिर एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति प्रति यौन रुचि रखना या फिर आकर्षित होना भी…

प्रेम की तरह कामुकता में एक व्यक्ति के मन में दूसरे व्यक्ति के लिए सिर्फ यौन इच्छाएं ही होती हैं… जबकि प्रेम करने वाले दो लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं… एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहते हैं… एक दूसरे के सुख दुख को बांटते हैं…

भले ही प्रेम और कामुकता को आज कलयुग में लोग एक समान समझते हों… लेकिन ये जान लीजिए कि कामुकता का रिश्ता सिर्फ शरीर और यौन इच्छाओं से है… अर्थात शरीर के मिलन से… जबकि प्रेम का रिश्ता मन से है… ना की सिर्फ शरीर से…

तो मित्रों आज की इस वीडियो में बस इतना ही…  उम्मीद करता हूं आपको कामुकता और प्रेम के बीच का अंतर समझ आ गया होगा… आपको ये वीडियो कैसी लगी मुझे कमेंट कर जरूर बताएं…

इसके साथ ही मुझे दें इजाजत मैं फिर लौटूंगा ऐसी ही कुछ और धार्मिक और अध्यात्मिक जानकारियों के साथ… तबतक के लिए देखते रहिए THE DIVINE TALES…

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