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हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट – Hanuman Dhara In Hindi

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हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट

हनुमान मंदिर धारा चित्रकूट : चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन धर्म स्थलों में से एक है। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला शांत और सुंदर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है । मंदाकिनी नदी के किनारे बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है । मान्यतानुसार भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के 14 वर्षों में 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे ।

इसी स्थान पर ऋषि अत्री और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था । ब्रह्मा विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था । चित्रकूट में अनेक धार्मिक स्थलों में से हनुमान धारा दार्शनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। इस धारा का जल हनुमान जी को स्पर्श करते हुए बहने के कारण इसे हनुमान धारा कहते हैं । इसके दर्शन से हर व्यक्ति का तनाव मुक्त और मनोकामना पूर्ण होती है ।

हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट –

हनुमान धारा वर्तमान में यह चित्रकूट स्थान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की कर्वी तहसील तथा मध्य प्रदेश के सतना जिले की सीमा पर स्थित है । चित्रकूट का मुख्य स्थल सीतापुर है, जो कर्वी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है । उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है । सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी 3 किमी है । यह स्थान पर्वतमाला के मध्य भाग में स्थित है । पहाड़ के सहारे हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सामने दो जलकुंड है । यह हमेशा जल से भरे रहते हैं और इनमें से निरंतर पानी बहता रहता है |

पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है इसके सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है । इस धारा का जल हनुमान जी को स्पर्श करता हुआ बहता है, जिस कारण इसे हनुमान धारा कहते हैं । यहाँ एक और पौराणिकता का भव्य नजारा देखने को मिलता है । तो वही श्री राम की कृपा भक्त शिरोमणि हनुमान जी पर कितनी थी इसका भी संकेत मिलता है | हनुमान धारा लगभग 100 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है । श्री राम लंका विजय से वापस लौट रहे थे तब उन्होंने हनुमान जी के विश्राम के लिए स्थल का निर्माण किया था | यहीं पर पहाड़ी की चोटी पर सीता रसोई भी स्थित है।

हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट से जुडी कथा –

हनुमान धारा के बारे में कहा जाता है, कि जब श्री हनुमान जी ने लंका में आग लगाई उसके बाद उनकी पूँछ में आग को बुझाने के लिए वह इस जगह आए जिसे हनुमान धारा कहते हैं । यह विंध्यास की शुरुआत में रामघाट से 4 किलोमीटर दूर स्थित है | यह एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जलधारा पर्वत से निकलकर हनुमान जी की मूरत की पूंछ को स्नान कराकर नीचे कुंड में चली जाती है । कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने अपनी पूंछ से आग लगाई थी । तब उनकी पूँछ पर भी बहुत जलन हो रही थी । राम राज्य में भगवान श्री राम से हनुमान जी ने विनती की जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूंछ पर गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती है ।

कैसे हुई हनुमान धारा मंदिर प्रकट –

श्री राम के अयोध्या में राज्य अभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमान जी ने भगवान श्री रामचंद्र जी से कहा हे प्रभु लंका को जलाने के बाद अग्नि से उत्पन्न गर्मी मुझे बहुत कष्ट दे रही है । मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मैं इससे मुक्ति पा सकूं इस कारण में कोई अन्य कार्य करने में बाधा महसूस कर रहा हूं कृपया मेरा संकट दूर करें तब प्रभु श्री राम जी ने मुस्कुराते हुए कहा चिंता मत करो | भगवान श्री राम जी ने हनुमान जी को बताया आप चित्रकूट पर्वत पर जाइए वहां आपकी शरीर पर अमृततुल्य शीतल जलधारा का जल गिरने से आपको इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी |

हनुमान जी ने चित्रकूट आकर विंध्य पर्वत की एक पहाड़ी में श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 1008 बार किया जैसे ही उनका अनुष्ठान पूरा हुआ ऊपर से 1 जल की धारा प्रकट हो गई जलधारा शरीर पर पढ़ते ही हनुमान जी के शरीर को शीतलता प्राप्त हुई आज भी वहां वह जल धारा निरंतर गिरती है । धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है इसे स्थानीय लोग प्रभाती नदी या पाताल गंगा कहते हैं ।

चित्रकूट का महत्त्व –

वाल्मिकी रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृति उपनिषद व साहित्यि ग्रंथो का पोराणिक साक्ष्यों में खासकर कालिदास कृत मेघदूतम में चित्रकूट का विशद विवरण प्राप्त होता है । त्रेतायुग का यह तीर्थ अपने गर्भ में संजोय स्वर्णिम प्राकृतिक दृश्यावलियों के कारण ही चित्रकूट के नाम से प्रसिद्ध है | चित्रकूट लगभग 11 वर्ष तक श्री राम माता सीता व भ्राता लक्ष्मण की आश्रय स्थली बनी रही है | यही मंदाकिनी पयस्विनी और सावित्री के संगम पर श्री राम ने पितृ तर्पण किया था | श्री राम व भ्राता भरत के मिलन का साक्षी यह स्थल श्री राम के वनवास के दिनों का साक्षात गवाह है | यहाँ के असंख्य प्राच्य स्मारकों के दर्शन से रामायण युग की परिस्थितियों का ज्ञान हो जाता है |

ब्रह्मा विष्णु और महेश चित्रकूट तीर्थ में इस लोक का गमन हुआ था यहां के सती अनुसूया के आश्रम को इस कथा के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है | चित्रकूट का विकास राजा हर्षवर्धन के जमाने में हुआ था इसके बाद मुगल काल में खासकर तुलसीदास जी के समय में यहां की प्रतिष्ठा प्रभा पुनः मुखारिन हो उठी | भारत के तीर्थ में चित्रकूट को इसलिए भी गौरव प्राप्त है कि इसी तीर्थ मैं भक्तराज हनुमान की सहायता से भक्त शिरोमणि तुलसीदास को प्रभु श्री राम के दर्शन हुए थे |

भारत में एक से बढ़कर एक हनुमान जी के भव्य मंदिर हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा से लगी कथा मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट धाम के हनुमान धारा मंदिर की बात कुछ और ही है | आज भी यहां हनुमान जी की बाईं भुजा पर लगातार जल गिरता नजर आता है | यहाँ बिराजे हनुमान जी की आंखों को देख कर ऐसा लगता है मानो हमें देख कर मुस्कुरा रहे हैं | इसके साथ में भगवान श्री राम का छोटा सा मंदिर भी यहाँ स्थित है, यहां पर हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है ।

मंदिर खुलने का समय –

हनुमान धारा मंदिर भक्तो के लिए हफ्ते में सातो दिन सुबह 05:00 बजे से शाम के 07:00 बजे तक खुला रहता है | इस समय में ही भक्तराज हनुमान जी की नियम से विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है | यहाँ स्थित कुण्ड के जल को पीने से भक्तों के समस्त कष्ट और परेशानियाँ दूर हो जाती है |

पर्यटन स्थल –

हनुमान धारा ले आसपास आप और भी कई दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं :

  • रामघाट
  • परम कुटीर
  • भरत मिलाप मंदिर
  • विराध कुण्ड
  • मयूरध्वज आश्रम
  • सीता मरही
  • सरभंग आश्रम
  • सबरी झरना
  • सीतापुर
  • प्रमोद वन
  • लक्षमण चौकी
  • राम शैय्या
  • तुलसी पीठ आदि  

आवागमन –

आप चित्रकूट हवाई, रेल और सडक मार्ग तीनों के द्वारा ही आसानी से पहुँच सकते हैं :

हवाई मार्ग द्वारा – चित्रकूट के सबसे नजदीक एयरपोर्ट खजुराहो में लगभग 158 किमी दूर स्थित है | यहाँ से आप बस या ट्रेन के द्वारा चित्रकूट पहुँच सकते हैं |

रेल मार्ग द्वारा – रेल मार्ग द्वारा यहाँ पहुँचने के लिए आपको सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कर्वी पड़ता है जो यहाँ से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है | यहाँ से आप टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक पहुँच सकते हैं |

सड़क मार्ग द्वारा – सडक मार्ग द्वारा चित्रकूट बहुत अच्छे से देश के बड़े बड़े शहरों से जुडा हुआ है | इसा कारण आप वाराणसी, प्रयागराज, बांदा, छतरपुर, फैजाबाद, लखनऊ, झाँसी, सतना और मैहर से बस के द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं |

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