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सोमनाथ मंदिर गुजरात पहला ज्योतिर्लिंग – Somnath Temple

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सोमनाथ मंदिर गुजरात - पहला ज्योतिर्लिंग - Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग है, जो गुजरात राज्य के सौराष्ट के वेरावल के पास स्थित बहुत ही प्राचीन मंदिर है | इस मंदिर का निर्माण 7,99,25,105 वर्ष पहले तथा वैवस्वत मन्वंतर के दसवें त्रेता युग के दौरान श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की शुभ तिथि को सोम यानि की चन्द्र देव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी | वैसे तो कई बार आक्रमणकारियों द्वारा इस मंदिर को नष्ट किया गया जिसके बाद कई राजाओं द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया मगर वर्तमान मंदिर का पुनर्निमाण भारत के लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने करवाया तथा इसकी प्राण प्रतिष्ठा भारत के तत्कालीन व् प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के द्वारा 11 मई 1951 में की गई थी |

सोमनाथ मंदिर – पहला ज्योतिर्लिंग

इस मंदिर की देखभाल व् व्यवस्था का काम सोमनाथ ट्रस्ट के द्वारा देखा जाता है | साल के तीन महीनों चैत्र, भाद्र और कार्तिक में यहाँ दर्शन और पूजन करने का विशेष महत्व होता है जिससे इन तीन महीनो में यहाँ आने वाले श्रदालुओं की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है | इस मंदिर से जुडी एक मान्यता है की यहाँ स्थित शिवलिंग पहले हवा में रहती थी मगर इस मंदिर पर कई आक्रमण होने के कारण अब ऐसा नहीं है | इस मंदिर से कुछ दूरी पर ही भालाका नामक जगह है जहाँ पर श्री कृष्ण ने अपनी देह को त्याग कर बैकुंठ को प्रस्थान किया था, इसी जगह पर श्री कृष्ण का एक भव्य मंदिर बना हुआ है |

मंदिर के निर्माण से जुडी कहानी –

इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक मान्यता है चन्द्र देव ने राजा दक्ष की 27 पुत्रियों से विवाह किया था मगर वह उनमे वह सिर्फ रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे जिससे राजा दक्ष की बाकीं पुत्रियाँ दुखी रहने लगी इससे राजा दक्ष ने इंद्र देव को श्राप दिया की की आज से चन्द्र का तेज कम होता जायेगा | इस श्राप से दुखी होकर चन्द्र देव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तब उन्होंने कहा की गुजरात के वेरावल नामक जगह पर जाकर शंकर जी की तपस्या करें श्राप से मुक्ति मिल जायेगी |

इंद्र देव ने यहाँ पर शंकर जी की स्थापना करके तपस्या की तब शिव जी ने प्रसन्न होकर कहा की शुरुआत के 15 दिन कृष्ण पक्ष में तुम्हारा तेज कम होता जायेगा और आखिरी के 15 दिन शुक्ल पक्ष में तेज वापिस से बढ़ता जायेगा | इसके चन्द्र देव ने यहाँ पर शंकर जी को अपना नाथ मानकर भव्य सोने के सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया |

मंदिर का इतिहास –

गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर अपनी महिमा और भव्यता के लिए दूर दूर तक ख्याति प्राप्त किये हुए था | इसकी भव्यता और धन से प्रभावित होकर महमूद गजनबी ने सन 1024 में इस मंदिर पर आक्रमण किया | गजनबी ने इस मंदिर को तहस नहस करके लाखों दीनार की लूट की और आधी शिवलिंग को खंडित कर दिया | इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने कई बार और गजनबी ने और 16 बार इस मंदिर पर आक्रमण किया | इसके बाद कई बार इस मंदिर को नष्ट किया गया और कई बार पुनः निर्माण किया गया और आखिरी पुनः निर्माण भारत के लौह पुरुष द्वारा सन 1950 में करवाया गया जिसके बाद इसे भारत सरकार को सौंप दिया गया |

मंदिर परिसर –

सोमनाथ मंदिर की देखरेख व् व्यवस्था का काम सोमनाथ ट्रस्ट को सौंपा गया है | इस मंदिर का शिखर लगभग 150 फुट ऊँचा और इस पर रखे कलश का वजन 10 टन व् इस पर लगे झंडे की ऊंचाई लगभग 27 फुट है | पुरानी मान्यताओं के अनुसार चन्द्र देव ने इस जगह सोने के मंदिर का निर्माण करवाया था वाद में रावण ने यहाँ चांदी के और श्री कृष्ण ने चन्दन की लकड़ी के मंदिर का निर्माण करवाया था |

इस मंदिर पर साल के तीन महीनो में चैत्र, भाद्र और कार्तिक के महीनो में यहाँ से निकलने वाली तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती के संगम त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष महत्त्व है जिससे इन तीन महीनो में यहाँ श्रदालुओं की संख्या काफी अधिक रहती है | इस मंदिर के निर्माण काल के बाद यहाँ और भी कई मंदिरों जैसे – भगवान् शंकर के 135, भगवान विष्णु के 5, देवी माता के 25, सूर्य देव के 16, गणेश भगवान् के 5, नाग देवता का 1 मंदिर, क्षेत्रपाल मंदिर 1, कुंड 19 आदि मगर अब इनमे से कुछ ही यहाँ पर स्थित है | इनके साथ ही मंदिर के पीछे की तरफ एक पार्वती जी का प्राचीन मंदिर स्थित है |

इस मंदिर के दक्षिणी तरफ एक स्तम्भ बना हुआ है जिस पर एक तीर रखकर यह संकेत दिया गया है की इस मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच प्रथ्वी का कोई भू भाग नहीं है |

आरती व दर्शन का समय –

इस मंदिर में किसी भी धर्म जाति के लोगो द्वारा जाकर दर्शन और पूजन किया जा सकता है मगर मुख्य गर्भ गृह में जाने की अनुमति सिर्फ पुजारियों को प्राप्त है | यह मंदिर भक्तो के लिए सुबह 6 बजे से लेकर रात में 9 बजे तक खुला रहता है | मंदिर में पूरे दिन में 3 बार आरती की जाती है पहली आरती सुबह 7 बजे दूसरी आरती दोपहर 12 बजे व् तीसरी आरती शाम को 7 बजे संपन्न होती है | इसके साथ ही यहाँ एक साउंड एंड लाइट प्रोग्राम भी किया रात में 8 से 9 बजे तक चलता है, जिसमे इस मंदिर से जुडी रोचक बातों को दिखाया जाता है | शारीरिक रूप से विकलांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मंदिर के बाहर से व्हील चेयर और मंदिर परिसर के अंदर से लिफ्ट की सुविधा मौजूद है |

यहाँ मनाये जाने वाले त्यौहार –

सोमनाथ मंदिर भगवान् शिव को अर्पित शिव मंदिर है इसलिए यहाँ सावन के महीने को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है इसके साथ ही यहाँ पर शिवरात्रि, गोलोकधाम उत्सव, कार्तिक पूर्णिमा मेला जो पांच दिन तक चलता है इसके साथ ही सोमनाथ स्थापन दिवस आदि को भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है |

अमानती घर –

इस मंदिर में फोटोग्राफी और मोबइल अंदर लेके जाना पूर्णतः प्रतिबंधित है | इसलिए आप अपना सामान जैसे बैग, मोबाईल, कैमरा और कोई इलेट्रोनिक सामान अमानती घर में जमा करा सकते है जिसके लिए आपसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है | इसके साथ ही आप अपने जूते चप्पल भी जूता घर में जमा करा सकते है इसकी सुविधा भी बिलकुल निशुल्क है |

ठहरने की व्यवस्था –

आप सोमनाथ मंदिर के पास रुकने के लिए सागर दर्शन गेस्टहाउस, लीलावती गेस्टहाउस और माहेश्वरी गेस्ट हाउस में सोमनाथ ट्रस्ट की बेबसाईट द्वारा कमरा बुक कर सकते है |

आसपास पर्यटन स्थल –

आप सोमनाथ मंदिर से 20 किमी की दूरी पर निम्न कुछ और तीर्थ स्थलों के दर्शन कर सकते है जैसे -अहिल्याबाई मंदिर, भालका तीर्थ, शशि भूषण मंदिर, त्रिवेणी संगम घाट, गोलोकधाम तीर्थ, हरिहर महाप्रभुजी की बेथक और प्राची तीर्थ आदि |

इसके साथ ही आप कुछ और स्थलों को घूम सकते है –

  • 35 किलोमीटर की दूरी पर चोरवाड़ यहाँ धीरूभाई अंबानी मेमोरियल, हॉलिडे कैम्प स्थित है |
  • 65 किलोमीटर की दूरी पर सासन गिर यहाँ एशियाई शेर अभयारण्य स्थित है |
  • 70 किलोमीटर की दूरी पर माधवपुर यहाँ श्री माधवरायजी मंदिर (श्रीकृष्ण), श्री वल्लभाचार्यजी बैठक स्थित है |
  • 70 किलोमीटर की दूरी पर कंकई यहाँ कंकाई माताजी मंदिर स्थित है |
  • 80 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त प्रयाग यहाँ पर श्री वल्लभाचार्यजी बेथक को घूम सकते है |
  • 85 किलोमीटर की दूरी पर दीव यहाँ नागोआ बीच, दीव फोर्ट घूम सकते है |
  • 90 किलोमीटर की दूरी पर जूनागढ़ यहाँ नरसिंह मेहता का चोरो, माउंट गिरनार, अपरकोट का किला घूम सकते है |
  • 110 किलोमीटर की दूरी पर तुलसी श्याम यहाँ तुलसी श्याम मंदिर घूम सकते है |
  • 130 किलोमीटर की दूरी पर पोरबंदर यहाँ दरबारगढ़, सार्तनजी चोरो, कीर्ति मंदिर (गांधीजी हाउस), हुज़ूर पैलेस घूम सकते है |
  • 230 किलोमीटर की दूरी पर द्वारका यहाँ द्वारकाधीश मंदिर / जगत मंदिर, बेयट द्वारका, रुक्मिणी मंदिर घूम सकते है |

मंदिर तक पहुँचने का तरीका –

वायु मार्ग द्वारा – सोमनाथ मंदिर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर सबसे नजदीकी एअरपोर्ट केशोड है, यहाँ से सोमनाथ मंदिर तक बस व् टैक्सी से पहुँच सकते है |

रेल मार्ग द्वारा – सोमनाथ मंदिर से सात किमी दूर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल स्थित है यहाँ से भी बस व् टैक्सी द्वारा आप आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं |

सडक मार्ग द्वारा – वेरावल बस स्टैंड तक सभी प्रमुख शहरों से बस सेवा उपलब्ध है |

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