नमस्कार मित्रों, स्वागत है आपका “the divine tales ” पर एक बार फिर . ‘ऐतरेय ब्राह्मण’……..अथार्त जब मनुष्य सोया रहता है, तब वह कलियुग में होता है। जब वो बैठ जाता है, तब द्वापर में और जब उठ खड़ा होता है, तब त्रेतायुग में पहुँच जाता है। और वहीं जब वह चलने लगे तो सतयुग को प्राप्त कर लेता है। इसीलिए कलियुग में हिमालय की चार धाम यात्रा को सतयुग तुल्य माना गया है, चार धाम अथार्त यमुनोत्री से शुरू होकर, गंगोत्री, केदारनाथ के बाद बदरीनाथ पर खत्म होने वाली वो यात्रा जिसका सीधा संबंध मन, विचार और आत्मा की शुद्धि से है।…
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