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हिन्दू धर्म की दस सबसे शक्तिशाली देवियाँ – Ten Most Powerful Goddesses in Hinduism

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देवी

हिंदू धर्म में शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले कई देवी-देवताओं का वर्णन किया गया है। इन् सभी पूजनीय और शक्तिशाली माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है की यही देवी-देवता गण ब्रह्मांड का निर्माण, संरक्षण और विनाश करते हैं।इस पोस्ट में आप जानेंगे हिन्दू धर्म के दस सबसे शक्तिशाली देवियों के बारे में।

10. देवी राधा

देवी राधा को हमेशा भगवान श्री कृष्ण से जोड़कर देखा जाता है। उन्हें राधिका या राधारानी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धरम में ऐसा माना जाता है की राधा-कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। देवी राधा को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म में राधा को श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणि से ज्यादा पूजनीय माना गया है। राधा श्री कृष्ण की प्रेमिका है जो उनकी दिव्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। राधा को कृष्ण के प्रति उनकी असीम भक्ति के लिए भी जाना जाता है। इसी असीम भक्ति के कारण हिन्दू धर्म में श्री कृष्ण के साथ राधा को भी पूजा जाता है।

09. कामधेनु गाय

गाय के रूप में कामधेनु की उत्पति समुद्र मंथन के समय  हुई थी। पुराणों में कामधेनु को सभी गायों की माता कहा गया है। हमारे धर्म में कामधेनु को खूबियों की देवी माना गया है।जो भक्त सच्चे मन से कामधेनु गाय की पूजा करते हैं वह उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती  है। कामधेनु के शरीर का प्रत्येक भाग प्रतीकात्मक महत्व रखता है। उदाहरण के लिए, उसके चार पैर चार वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं, सींग देवताओं का प्रतीक हैं, और कूबड़ हिमालय के समान खड़े हैं। हिन्दू धर्म में गाय को पृथ्वी की माता के रूप में भी पूजा जाता है क्योंकि उसका दूध मानव जीवन का पोषण करता है।

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08. देवी तुलसी

देवी तुलसी को हिन्दू धर्म में पौधे के रूप में पूजा जाता है। तुलसी के पूजनीयता से जुडी कई कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार देवी तुलसी अपने पूर्व जन्म में शिव जी के पुत्र जालंधर की पत्नी वृंदा थी। जालंधर का जन्म शिवजी की तीसरी आँख से हुआ था जिस वजह से वह बहुत ही शक्तिशाली था। ऐसा माना जाता है की पत्नी जालंधर को उसकी पत्नी वृंदा की पतिव्रता के कारण कोई नहीं मार सकता था। जिस वजह से वह देवताओं के लिए खतरा बनता जा रहा था। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। विष्णु ने दुनिया को जालंधर के अत्याचार से बचाने के लिए जालंधर का रूप धारण किया और वृंदा के साथ रहने लगे। जिसके बाद वृंदा का सतीत्व ख़त्म हो गया और शिवजी  ने जलधर का वध कर दिया। यह बात जब वृंदा को पता चली तो उसने विष्णु जी को पत्थर के रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया,जिसे आज भी शालिग्राम के रूप में पूजा जाता है।  वृंदा खुद चिता  की अग्नि में जलकर भस्म हो गई। और फिर उसी जगह वृंदा ने  तुलसी के पौधे के रूप में जन्म लिया।

07. देवी गंगा

हिंदु धर्म में देवी गंगा की नदी के रूप में पूजा की जाती है। लोगों का विश्वास है की इसमें स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति मिल जाती है। देवी गंगा पर्वत राज हिमालय और हिमवान की बेटी है।पृथ्वी पर गंगा का अवतरण इक्ष्वाकु वंश यानि श्री रांमचंद्र जी  के वंशज भागीरथ के अनुरोध पर हुआ था।ऐसा माना जाता है की राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजो की मोक्ष की प्राप्ति और देवी गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। भागीरथ के तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने देवी गंगा को पृथवी पर अवतरित होने का का आदेश दिया। तब शिवजी ने गंगा के वेग को अपनी जटाओं में समेट लिया और उंसकी छोटी-छोटी धाराओं को ही पृथ्वी पर गिरने दिया। पुराणों में कहा गया है की गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों में बहती है-स्वर्ग, पृथ्वी, तथा पाताल। इसलिए संस्कृत भाषा में उसे त्रिपथगा कहा जाता है।

क्या सच में गंगा में नहाने से पाप धूल जाता है ?

06. देवी सीता

देवी सीता प्रभु राम की पत्नी और मिथिला नरेश जनक की पुत्री थी। नेपाल के जनकपुर में सीता जी के नाम पर जानकी मंदिर भी है। ऐसा माना जाता है कि देवी सीता का जन्म धरती से हुआ था।  इसलिए उन्हें धरती माता की बेटी भी कहा जाती है। पति को वनवास मिलने के बाद देवी सीता रामचंद्र जी के साथ वन भी जाती है।  जहाँ से लंकापति रावण उनका अपहरण कर लेता है और बाद में प्रभु राम के हाथों मारा जाता है। लंका से वापस आने के बाद माता सीता को अपनी शुद्धता सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा से होकर गुजरना पड़ा था । इसलिए देवी सीता स्त्री जाति की शक्ति और सदाचार का प्रतिनिधित्व करती हैं।

05. देवी सरस्वती

हिन्दू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत और विद्या की देवी माना जाता है। इन्हे शारदा के नाम से भी जाना जाता है। वह ब्रह्मा की पत्नी है। इनका वाहन हंस है। उनकी हाथों में वीणा और पुस्तक है। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा मनाई जाती है। भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और अपने मंदिरों में ज्ञान और ज्ञान का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

04. देवी लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की शक्तिशाली देवी माना जाता है। दीपावली के दिन भक्त अपने घरों को रोशनी और फूलों की मालाओं से सजाते हैं और माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी है। लक्ष्मी न केवल भौतिकवादी धन का प्रतिनिधित्व करती है बल्कि महिमा, आनंद और सम्मान का भी प्रतिनिधित्व करती है।  जो भी भक्त श्रद्धा से देवी लक्ष्मी की नित्य पूजा करता है उसे जीवन में किसी भी दुःख का सामना नहीं करना पड़ता है।

03. देवी काली

भयंकर-विकराल रूपी काले वर्ण वाली मां भगवान शिव के नेत्र से उत्पन्न हुई है। शक्तिशाली देवी काली को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। देवी काली को ज्ञान की देवी और  आत्मा को मुक्त कर मोक्ष देने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है। देवी काली को माता पार्वती का अवतार माना गया हैं। ऐसा माना जाता है की माता पार्वती ने राक्षस रक्तबीज का वध करने के लिए काली का रूप धारण किया था। मां काली के लालट में तीसरा नेत्र और चन्द्र रेखा शोभित है।  कंठ में कराल विष का चिन्ह और हाथ में त्रिशूल, खोपड़ियों की माला, चाकू और एक खून का कटोरा माता के रूप को भयावह बनता है।

02. देवी पार्वती

पार्वती देवी भी पर्वत राज हिमालय और हिमवान की बेटी है। यानि ये माना जाता है की माता पार्वती देवी गंगा की बहन है। उन्हें गौरी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी सवारी  शेर या बाघ है। वह भगवान शिव की पत्नी और कार्तिकेय एवं  गणेश की मां हैं। माता पार्वती सती का अवतार है, जो कभी शिव की पत्नी थीं, लेकिन अपने पति के प्रति अपने पिता के अपमानजनक व्यवहार के कारण वे आग में भस्म हो गई थीं। माता पार्वती देखभाल और मातृत्व शक्ति का प्रतिक है।

माता पारवती और शिव जी की कथा

01. देवी दुर्गा

देवी दुर्गा का पूजन नवरात्रि के दौरान बड़ी धूम धाम से किया जाता है। हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है। देवी दुर्गा ने महिषासुर जैसे शक्तिशाली असुर का वध कर मनुष्य जाति का उद्धार किया था।समस्त  ब्रह्मांड में माँ दुर्गा स्त्री शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। उनकी सवारी भी  शेर या बाघ है। उनके हाथों में त्रिशूल है जिसे उन्हें भगवान शंकर ने दिया था। इसके आलावा भगवान विष्णु ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान दिया।  पवनदेव ने धनुष और बाण भेंट किए। इंद्रदेव ने वज्र और घंटा अर्पित किया। यमराज ने कालदंड भेंट किया। और सूर्य देव ने माता को तेज प्रदान किया।

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