दक्षिण भारत में अनेकों आकर्षक एवं पौराणिक मंदिर है। इन मंदिरों की आकृति, इनकी बनावट कुछ इस प्रकार की है की यहाँ प्रवेश करते ही एक अद्वितीय अनुभूति होती है। इन्ही में से एक अनोखा मंदिर है तिरुपति बालाजी जो न केवल भारत अपितु विश्व के अनेक देशों में प्रसिद्द है। यह भारतीय वास्तुकला एवं शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। आँध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित, तिरुपति बाला जी मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। इसका वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर मंदिर है क्यूंकि यहाँ पर भगवान वेंकटेश्वर विराजमान है जो स्वयं भगवान् विष्णु हैं। यह प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी पर स्थित है जिसे वैंकटचला के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की वेंकट पहाड़ी के स्वामित्व के कारण यहाँ भगवान् विष्णु को वेंकटेश्वर कहा गया। तिरुपति बालाजी की शिल्पकला तो अद्भुत है ही, साथ ही इस मंदिर के विषय में कुछ ऐसे आश्चर्यजनक तथ्य और रहस्य हैं जिन्हें जानकर आप अवश्य ही भगवान् वेंकटेश्वर के दर्शन के इच्छुक होंगे.
आइये जानते हैं क्या है ये तथ्य :
1) प्रतिमा की स्थिति
जब आप मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं तो आपको लगेगा की भगवान् श्री वेंकटेश्वर की प्रतिमा गर्भ गृह के मध्य में स्थित है, आप वहां नतमस्तक होते हैं, भगवान की पूजा करते हैं परन्तु जैसे ही गर्भ गृह से बाहर आएंगे तो अचंभित रह जायेंगे क्यूंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान् की प्रतिमा दायीं ओर स्थित है। रोचक यह है कि प्रतिमा को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त का अनुभव समान ही रहता है। अब यह केवल भ्रम है या कोई महिमा, इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।
2) स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र धारण करते हैं भगवन वेंकटेश्वर
ऐसा माना जाता है कि भगवान् के इस रूप में माँ लक्ष्मी भी समाहित हैं इस कारण स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्रों को पहनाने की परंपरा है।
3) बाला जी की प्रतिमा को आता है पसीना
मंदिर में भगवान् की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा है। यह एक विशेष पत्थर से बनी है परन्तु यह इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान् स्वयं ही विराजमान हैं। ऐसा देखा गया है कि बाला जी की प्रतिमा को पसीना आता है, प्रतिमा पर पसीने की बूँदें देखी जाती हैं इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है।
4) बाला जी का अनोखा गाँव
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर से २३ किलोमीटर पर एक ऐसा गाँव स्थित है जहाँ गाँव वालों के अतिरिक्त कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। यहाँ के लोग बहुत ही अनुशासित हैं और नियमों का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं। मंदिर में अर्पित होने वाले पदार्थ जैसे पुष्प, फल. दही, घी, दूध, मक्खन आदि सभी इसी गाँव से आते हैं।
5) गुरूवार को चन्दन लेप लगाया जाता है
प्रत्येक गुरूवार भगवान् को चन्दन का लेप लगाने के पश्चात अद्भुत रहस्य सामने आता है। भगवान् बालाजी का श्रृंगार हटाकर, स्नान कराकर चन्दन का लेप लगाया जाता है और जब यह लेप हटाया जाता है तो बालाजी के ह्रदय पर उस चन्दन के लेप में माँ लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है।
6) मंदिर में यह दिया कभी नहीं बुझता
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दिया सदैव जलता रहता है। आश्चर्यजनक यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। यहाँ तक कि यह भी नहीं ज्ञात है की इस दीपक को सबसे पहले कब और किसने प्रज्ज्वलित किया था।
7) पचाई कपूर
भगवान् वेंकटेश्वर की प्रतिमा पर पचाई कपूर लगाया जाता है। इस कपूर के विषय में कहा जाता है कि यदि यह किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरार पड़ जाती है परन्तु भगवान् बाला जी की प्रतिमा पर पचाई कपूर का इस प्रकार का कोई प्रभाव नहीं होता।
8) असली हैं बाला जी के केश
कहा जाता है कि भगवान् वेंकटेश्वर के केश असली हैं जो कभी उलझते नहीं और हमेशा मुलायम रहते हैं। यह एक अचम्भा है कि एक प्रतिमा पर लगे बाल असली कैसे हो सकते हैं।
9) मंदिर में रखी अद्भुत छड़ी
मंदिर के दायीं ओर एक छड़ी रखी रहती है। यह वो छड़ी है जिससे कभी बचपन में भगवान् बालाजी की पिटाई की गयी थी। कल्पना कीजिए की यह वो छड़ी है जिसने भगवान् को स्पर्श किया था। पिटाई लगने से इस छड़ी से भगवान् की ठोड़ी में चोट लग गयी थी। इस चोट पर चन्दन का लेप लगाया गया था। इसी कारण उनकी ठोड़ी पर चन्दन का लेप लगाया जाता था।
10) प्रतिमा से आती है लहरों की ध्वनि
भगवान् वेंकटेश्वर की प्रतिमा पर कान लगाकर सुने तो समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है। ऐसा भी कहा जाता है की भगवान् की प्रतिमा सदैव नम रहती है।
तो दोस्तों यदि आपने भगवान् बाला जी के दर्शन किये हैं तो अपने अनुभव भी कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं