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किसने ठगा भगवान श्री गणेश को – Who cheated Lord Shri Ganesh

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श्री गणेश को विघ्नहर्ता, सिद्धिविनायक जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। श्री गणेश देवताओ में सबसे चतुर और बुद्धिमान माने जाते है । अपनी चतुराई से कुबेर को सबक सिखाने वाले एक बूढी माँ के झांसे में कैसे गए । आइये जानते है की किसने ठगा भगवान श्री गणेश को।

श्री गणेश और बुढ़िया की कथा

पौराणिक कथाओ के अनुसार एक गांव में गरीब और दृष्टिहीन बुढ़िया रहा करती थी ।उसके परिवार में केवल एक बेटा और बहु थे । बुढ़िया रोज़ाना भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करती थी । बूढी माँ खुद भूखा रहकर श्री गणेश को घी का दिया और फूल अर्पण करती । वे सदैव गणेश मंत्र का उच्चारण करती रहती ।

बूढी माँ की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान श्री गणेश उसके सामने प्रकट हुए । ये देख बूढी माँ अत्यंत प्रसन्न हुई । गणेश जी बूढी माँ से पूछने लगे कि बूढी माँ तुझे जो चाहिए वो वर मुझसे मांग ले । ये सुन बूढी माँ ने गणेश भगवान से कहा कि मुझे तो मांगना नहीं आता । मैं कैसे और क्या मांगू तुमसे ।

इस पर भगवान गणेश ने बूढी माँ से कहा कि बेटा और बहु से पूछ कर वरदान मांग ले । ये सुन बूढी माँ अपने बेटे के पास गयी। उसे बताया कि मेरी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने मुझे दर्शन दिए । मुझे मनचाहा वरदान मांगने को कहा । लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या मांगू । बूढी माँ कि ये बात सुन कर बेटा बोला – माँ तू भगवान गणेश से अपार धन और दौलत मांग ले । फिर बूढी माँ ने अपनी बहु से भी यही सवाल पूछा तब बहु ने जवाब में कहा कि तुम वरदान में पोता मांग लो ।

इतना सुनकर बूढी माँ सोचने लगी कि ये लोग तो अपने अपने मतलब कि बात कर रहे है । आखिर में बूढी माँ ने अपने पड़ोसियों से भी यही पूछा । जवाब में बूढी माँ को ये उत्तर मिला कि तुम्हारा जीवन कुछ ही समय का है । तुम्हे धन और पोते का क्या मोह । अपनी आँखों कि रौशनी का वरदान मांग ले जिससे बची हुई ज़िन्दगी आराम से कट जाये ।

जब बुढ़िया ने माँगा वरदान

इतना सुन बूढी माँ वापस भगवान गणेश के पास गयी । गणेश जी ने बूढी में से वरदान मांगने को कहा । तब बूढी माँ बोली कि हे भगवान यदि तुम मेरी भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हो । मुझे वरदान देना चाहते हो तो मुझे नौ करोड़ की माया, निरोगी काया,अमर सुहाग दो। साथ ही आँखों की रौशनी,एक पोता दो। और अंत में मोक्ष प्रदान करें ।

ये सुन भगवान गणेश  बोले कि हे बूढी माँ तूने तो मुझे ठग लिया । लेकिन मैं तुझे तेरी भक्ति के लिए वरदान देने में प्रतिबद्ध हु । इसीलिए जो भी तूने माँगा है वो सुब तुझे मिलेगा । इतना कहकर भगवान गणेश चले गए । उधर बूढी माँ ने जो भी माँगा उसे सबकी प्राप्ति हुई ।

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