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विश्वामित्र और मेनका की प्रेम कथा

by
MENAKA

पाठकों आप सभी तो ऋषि विश्वामित्र को जानते ही होंगे जिन्होंने 21 बार पृथ्वी पर क्षत्रियों समूल नाश कर दिया था|ऋषि विश्वामित्र को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है|हमारे धर्मग्रंथों में ऋषि विश्वामित्र की वीरता से जुडी कई कथाओं का उल्लेख मिलता है|लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं की ऋषि विश्वामित्र वीर योद्धा के आलावा एक कन्या से प्रेम भी करते थे|आज मैं आपको ऋषि विश्वामित्र की उसी प्रेम कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ|

तपस्या से डर गए थे इंद्र

एक बार ऋषि विश्वामित्र वन में बैठकर कठोर तपस्या कर रहे थे|तपस्या करते हुए उनके शरीर में कोई भी हलचल नहीं हो रहा था|उनके चेहरे पर एक अजीब सा तेज था|जिस कारण वन में घूम रहे जानवर विश्वामित्र के तप को भंग करने का साहस नहीं कर पा रहे थे|उधर जब स्वर्गलोक में इसकी जानकारी देवराज इन्द्र को हुई तो वो घबरा गए|विश्वामित्र की कठोर तपस्या से इन्द्र को अपनी गद्दी छिन जाने का डर सताने लगा|तब इंद्रा ने विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने की सोची|इसके लिए उन्होंने स्वर्ग की अप्सरा मेनका को पृथ्वीलोक पर जाकर विश्वामित्र की तपस्या भंग करने को कहा।

मेनका का पृथ्वी पर आगमन

स्वर्ग की अप्सरा मेनका देवराज इन्द्र के आदेश का पालन करने पृथ्वी पर आई|पृथ्वी पर आते ही मेनका ने एक सुन्दर कन्या का रूप धारण कर लिया| फिर भी मेनका ने ऋषि विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करने के भरसक प्रयास किये। कभी वो वह विश्वामित्र की आंखों में समा जाती तो कभी हवा में अपने कपड़ो को लहराने लगती।पर मेनका को यह ज्ञात नहीं था की लम्बे समय से तप के कारण विश्वामित्र का शरीर कठोर बन चुका है|जिस कारण उसके किसी भी प्रयास का विश्वामित्र के शरीर पर कोई असर नहीं हो रहा था|

भंग हुई ऋषि की तपस्या

मेनका ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा और अंत में मेनका की कोशिश रंग लाई |विश्वामित्र के शरीर में धीरे-धीरे हलचल होने लगा|अप्सरा मेनका के प्रयास से विश्वामित्र के शरीर में काम शक्ति का संचार होने लगा और देखते ही देखते विश्वामित्र अपने तप को छोड़ कर खड़े हो गए|अपने सामने सुन्दर स्त्री को देखते ही उसकी सुंदरता में खो गए|लेकिन वह यह नहीं जानते थे अप्सरा मेनका ने उन्हें अपने जाल में फंसा लिया है|

विश्वामित्र और मेनका का विवाह

https://www.youtube.com/watch?v=_EY8gGErHRI&t=15s

ऋषि विश्वामित्र मेनका की सुंदरता से प्रेम करने लगे और मन ही मन मेनका को पत्नी रूप में स्वीकार कर बैठे|इधर मेनका ने सोचा की अगर इस समय में इंद्रलोक वापस चली गई तो विश्वामित्र फिर से तप में लीन हो जायेंगे|इसीलिए मेनका ने विश्वामित्र के साथ ही कुछ वर्ष रहने का मन बनाया|कई वर्षों तक विश्वामित्र के साथ रहने के कारण मेनका भी विश्वामित्र से प्रेम करने लगी|इसके बाद दोनों ने शादी कर ली| कुछ दिन बाद मेनका ने विश्वामित्र की संतान को जन्म दिया जो एक कन्या थी|जन्म देने के बाद  मेनका वापस इंद्रलोक चली गई|मेनका और विश्वामित्र से जन्मी कन्या को विश्वामित्र ने कण्व ऋषि के आश्रम में छोड़ दिया| और यही कन्या आगे चलकर मेनका की पुत्री शकुंतला के नाम से जानी गई|

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