होम शिव कथायें कौन था पहला कांवड़िया ? – who was the first kanwadiya ?

कौन था पहला कांवड़िया ? – who was the first kanwadiya ?

by
कांवड़िया

सावन का महीना शुरू होते ही केसरिया कपड़ा पहने गंगा का पवित्र जल चढाने लाखों की तादाद में कांवड़ियाअपने अपने घरों से निकल पड़ते हैं। लेकिन क्या आप कांवड़ यात्रा का पूरा इतिहास जानते हैं। कौन था पहला कांवड़िया इससे लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग अलग मान्यताएं हैं। आइये जानते हैं विस्तार से

भगवान परशुराम 

कुछ विद्वानों का मानना है की सबसे पहले भगवान परशुराम ने उत्तरप्रदेश के बागपत के पास स्थित पुरा महादेव का कांवड़ से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था। परशुराम इस प्राचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए गढ़ मुक्तेश्वर से गंगाजल लाये थे। आज भी इस परंपरा का पालन करते हुए सावन के महीने में गढ़ मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर लाखों लोग पुरा महादेव का जलाभिषेक करते हैं। गढ़ मुक्तेश्वर को वर्तमान में ब्रज घाट के नाम से जाना जाता है।

भगवान राम

कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान राम पहले कांवड़िया थे। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल भरकर बाबाधाम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था।

वहीँ पुराणों के अनुसार कांवड़ यात्रा की परंपरा समुद्र मंथन से जुडी हुई है। समुद्र मंथन से निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाये। परन्तु विष के नकारात्मक प्रभावों ने भगवान शिव को घेर लिया। शिव को इन प्रभावों से मुक्त करने के लिए उनके अनन्य भक्त रावण ने ध्यान किया। तत्पश्चात कांवड़ में जलभरकर रावण ने पुरा महादेव स्थित शिव मंदिर में शिवजी का जलाभिषेक किया। इससे भगवान शिव विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हुए। और यहीं से कांवड़ यात्रा परंपरा का प्रारम्भ भी हुआ।  

कांवड़ यात्रा का महत्त्व

पहला कांवड़ चाहे जो भी हो लेकिन ये हमारे सनातन धर्म में आस्था से भगवान शिव को पाने की एक प्रथा है। इस धार्मिक यात्रा की एक विशेषता ये भी है सभी कांवड़िया केसरिया रंग के वस्त्र ही धारण करते हैं। केसरिया रंग जीवन में ओज,साहस,आस्था और गतिशीलता बढ़ाता है। कलर थेरेपी के अनुसार भी ये रंग पेट की बिमारियों को भगाता है। सभी कांवड़िया बोल बम के सम्बोधन से एक दूसरे का उत्साह बढ़ाते हैं। ये यात्रा में रस्ते भर एक दूसरे से वार्तालाप करते चलते हैं। कांवड़ यात्रा भले ही लम्बी तथा कठिन होती है पर लक्ष्य एक ही होता है की महादेव को जल चढ़ाना है। 

0 कमेंट
0

You may also like

एक टिप्पणी छोड़ें