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जब गणेश जी बच्चा बनकर एक कंजूस औरत के घर का सारा राशन खा गए

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दर्शकों हिन्दू धर्म में गजानन, गणपति, लम्बोदर आदि नामो से जाने जाने वाले भगवान् गणेश जी को किसी भी शुभ काम को शुरू करते समय सर्वप्रथम पूजा जाता है। धर्मग्रंथों में माता पार्वती और भगवान् शिव के इस पुत्र जुडी कथाओं का वर्णन मिलता है। दर्शकों आज के इस एपिसोड में मैं आपको भगवान् गणेश जी जुडी एक ऐसी कथा के बारे बताने जा रहा हूँ जिसमे उन्हें अपने भक्तों की परीक्षा ली।

भगवान गणेश जी द्वारा भूलोक में भक्तो की परीक्षा

कथा के अनुसार एक दिन भगवान गणेश अपने धाम में बैठे-बैठे आराम कर रहे थे। उसी समय उनके मन में विचार आया की क्यों ना पृथ्वीलोक पर जाकर अपने भक्तों की परीक्षा ली जाये।  फिर क्या था भगवान गणेश ने एक बच्चे का रूप धारण किया और पृथ्वी लोक के लिए निकल पड़े। पृथ्वी लोक पहुंचकर उन्होंने अपने एक हाथ एक चम्मच में दूध और दूसरे हाथ में एक चुटकी चावल लेकर इधर उधर घूमने लगे। और लोगों से कहने लगे की कोई मेरे लिए इन दूध और चावल से खीर बना दो। पर वहां उपस्थित लोग बच्चा रुपी गणेश जी की बात सुनने की बजाय सभी लोग उनकी बातें सुनकर हंसाने लगते और आपस में बातें करते भला एक चम्मच दूध और चुटकी भर चावल से कोई कैसे खीर बना सकता है।

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काफी देर घूमने के बाद एक बूढी औरत की नजर उस बच्चे पर पड़ी जो उस समय अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी हुई थी। उस बूढी औरत को बच्चे रुपी गणेश जी पर दया आ गयी और उसने बच्चे से बोली ला बेटा मैं तुम्हारे लिए इस दूध और चावल से खीर बना देती हूँ। यह सुनकर गणेश जी ने उस बूढी औरत से कहा माई क्या सच में तुम मेरे लिए खीर बनाओगी। तब बूढी औरत ने कहा हाँ बेटा मैं तुम्हारे लिए खीर बनाउंगी। फिर  गणेश जी ने उस बूढी औरत को दूध और चावल दे दिया। उसके बाद बूढी औरत ने एक छोटे से बर्तन में दूध और चावल डालकर खीर चूल्हे पर चढ़ा दी।

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कुछ देर बाद बूढी औरत ने देखा की जिस बर्तन में उसने खीर चूल्हे पर चढ़ा राखी है वो बर्तन तो पूरे भर गए। तब उसने उसे बड़े दूसरे बर्तन में खीर डाली पर वो बर्तन भी भर गए। यह देख वह बूढी औरत ने गणेश जी से बोली बेटा मेरे पास तो इतने ही बर्तन थे अब मैं कैसे तुम्हारे लिए खीर बनाऊं। तब गणेश जी ने कहा माई पड़ोसियों के घर से और बर्तन मांग लाओ। उसके बाद जो बर्तन उस बुढ़िया ने पड़ोसियों से लायी वो भी भर गए। यह देख बूढी औरत ने कहा बेटा ये तो इतनी सारी खीर हो गयी इसका मैं क्या करूँ। उसके बाद बच्चे रुपी गणेश जी ने कहा माई जा पूरी नगरी को खीर खाने का निमंत्रण दे आओ। फिर वह बूढी औरत सबके घर जाकर कहने लगी आज मेरे घर खीर खाने आना।  परन्तु बुढ़िया की बात सुनकर सब हंसने लगे और कहने लगे की तुम तो खुद  गरीब हो। खुद खाने के लिए तो सबसे रोटी मांगती फिरती हो और ऐसे में आज तुम हम सबको कैसे खीर खिलाओगी। तभी कुछ लोग कहने लगे कोई बात नहीं चलो उसका मजाक बनाने ही चलेंगे। सभी एक दूसरे  को सलाह देने लगे की घर से खाना खा कर चलेंगे नहीं तो भूखा ही रहना पड़ेगा। जबकि कुछ लोग बोले अरे खाना तो घर आकर भी खा लेंगे।देखें तो ये बुढ़िया कौन सी खीर खिला रही है।

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इधर जैसे ही वो बुढ़िया सबको खीर खाने का न्योता देने गयी उसी समय उसकी बहु ने सोचा की पता नहीं मेरे लिए खीर बचेगी की नहीं। फिर वह एक कांसे की थाली में खीर डालकर खाने  लिए बैठ गयी। उसने खाने से पहले भगवान गणेश को भोग लगाया और उसने खीर खाना शुरू कर दिया। उधर कुछ देर बाद नगर के लोग बुढ़िया के यहाँ खीर खाने आने लगे। जब सभी लोग आ गए। तब बुढ़िया ने सभी को खीर परोसा उसके बाद सबने खूब पेट भरकर खीर खाये।खीर बहुत ही स्वादिष्ट बनी थी इसलिए जो घर से खाना खा के आये थे वो बहुत पछताए। जब नगर के सभी लोग खीर खा के चले गए तो बूढी औरत गणेश जी से बोली चल बेटा अब हम भी खीर खा लेते हैं। तब बच्चा रुपी गणेश जी ने कहा माई मेरे तो भोग लग गया।माई मैंने तो खीर खा भी ली। तब बूढी औरत कब बेटा तूमने कब खीर खायी। तब बच्चा बोला माई जब तेरी बहु सबसे पहले खीर की थाली लेकर बैठी थी तो उसने बोला था गणेश जी तेरे भोग लगे।

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यह सुन उस बूढी औरत को बड़ा ही आश्चर्य हुआ और वह बोली बेटा तुम गणेशा है क्या। तब वो बच्चा बोला हाँ माई मैं गणेशा ही हूँ। ये सुनकर वो बूढी औरत बहुत खुश हो गयी।तब भगवान गणेश अपने असली रूप में आ गए और फिर उन्होंने उस बूढी औरत को खूब आशीर्वाद दिया। उसके बाद वहां से जाते हुए गणेश जी ने उसकी झोपड़ी पर लातमारे। जिससे उस बूढी औरत की झोपड़ी महल मंदिर हो गए। नौकर चाकर हो गए। रिद्ध-सिद्ध के भंडार भर गए।

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तो दर्शकों जिस तरह गणेश जी ने उस बूढी औरत पर कृपा की वैसे गणेश जी उन सब भक्तों पर कृपा करते जो उन्हें सच्चे मन से श्रद्धा के साथ पूजता है। तो मित्रों उम्मीद करता हूँ की आपको हमारी ये कथा  होगी। अगर पसंद आई हो तो ज्यादा से ज्यादा लाइक और शेयर करे।

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