अप्सरा रम्भा : हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो में कई ऐसी पौराणिक कथाओ का उल्लेख है… जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते है । उनमे से एक है देवलोक की रम्भा का पत्थर में बदल जाना । आखिर किसने सबसे लोकप्रिय और देवलोक की सभी अप्सराओ से सुंदर रम्भा को पत्थर में बदला । क्या वजह थी इसके पीछे? आइये जानते है:
पौराणिक कथाओ के अनुसार जहा एक तरफ स्वर्ग में देवी- देवताओ का वास था, तो वही दूसरी तरफ स्वर्ग लोक के देवराज इन्द्र के पास कई हज़ारो अप्सराओ का वास था । सभी वैभव, सौन्दर्य कलाओ, और दिव्य शक्तिओ से परिपूर्ण थी। लेकिन सबसे प्रमुख अप्सराये जिनकी चर्चा पूरे देवलोक में रहती थी, वे थी- मेनका, रम्भा, उर्वशी और तिलोत्तमा, जिनमे रम्भा स्वर्गलोक की ही नहीं बल्कि तीनो लोको की सबसे सुंदर स्त्री मानी जाती थी। जिसके कारण सभी रम्भा को हासिल करना चाहते थे।
ऐसी मान्यता है कि रम्भा कि उत्पत्ति समुन्द्र मंथन के दौरान हुई थी, जिसे देवी लक्ष्मी का भी स्वरुप माना जाता है। रामायण पुराण में यक्षराज कुबेर के पुत्र नीलकुबेर की पत्नी के रूप में भी रम्भा का उल्लेख किया गया है।
माना जाता है कि एक बार देवराज इन्द्र ऋषि विश्वामित्र के कठोर तप से भयभीत होने लगे, और स्वर्गलोक के छीन जाने की चिंता उनको सताने लगी। इस बात से विचलित होकर देवराज इन्द्र ने अप्सरा रम्भा को बुलाया और उसे ये आदेश दिया कि वह पृथ्वी पर जाकर ऋषि विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित कर उनकी तपस्या को भंग करे। इतना सुन रम्भा ने धरती की और प्रस्थान किया। वहा तपस्या कर रहे ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में पास रम्भा नृत्य करने लगी। रम्भा ने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिए अनेको प्रयास किये ओर जब तपस्या भंग हुई, तो ऋषि विश्वामित्र तप में पड़े विघ्न के कारण अत्यंत क्रोध में आ गए। ऋषि विश्वामित्र ने श्राप दे दिया और हज़ार वर्षो तक रम्भा को पत्थर में बदला।इस तरह देवराज इन्द्र के किये अपराध की भोगी रम्भा को बनना पड़ा। हालाँकि रामायण पुराण की एक कथा में एक ऋषि द्वारा रम्भा को पत्थर में बदला जानेके श्राप मुक्ति का उल्लेख मिलता है।
कहते है कि सौन्दर्य , आकर्षण ओर तेजस्व से परिपूर्ण रम्भा की साधना करने से साधक का शरीर अनेक प्रकार के रोगो से मुक्ति पाकर प्रज्वलित सौन्दर्य प्राप्त करता है। भारत में रम्भा नाम से तीज भी मनाई जाती है। इस दिन विवाहित स्त्रियां व्रत कर अनाज , फूल ओर सभी श्रृंगार सामग्री की पूजा करती है।