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अमरनाथ धाम का इतिहास

by divinetales
अमरनाथ धाम

मित्रों, कश्मीर की वादियों में, समुद्र तल से करीब 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये वो पवित्र गुफा है… जहां स्वयं भोलेनाथ हिमलिंग के रूप में सदियों से विराजित हैं… कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने आदि शक्ति माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी…

और तभी से दुर्गम रास्तों को पार कर, हजारों कठिनाइयों को झेलकर, लाखों श्रद्धालु भगवान शिव और आदि शक्ति के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं… लेकिन मित्रों क्या आपने कभी ये सोचा है कि अमरनाथ धाम हिंदू धर्म में इतना महत्व क्यों रखता है… और इस धाम की यात्रा करने से क्या होता है…

अगर आप भी इन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं तो अगले कुछ मिनटों के लिए मेरे साथ बने रहिए… क्योंकि आज मैं आपको अमरनाथ धाम के उस प्राचीन इतिहास के बारे में भी बताने वाले हूं जिससे अधिकतर लोग आज भी अंजान हैं…

तो मित्रों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का एक बार फिर the divine tales पर….

मित्रों, ऐसा कोई कालखंड नहीं है जिसमें भगवान अमरनाथ का वर्णन ना किया गया हो… ना सिर्फ पुराणों में बाबा बर्फानी का उल्लेख मिलता है… बल्कि स्कंद पुराण के भैरव-भैरवी संवाद में भी अमरनाथ यात्रा करने से मिलने वाले फल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है…

तो चलिए सबसे पहले अमरनाथ धाम से जुड़ी कथा के बारे में जान लेते हैं…

अमरनाथ धाम की कथा ?

मित्रों, शिव पुराण में अमरनाथ गुफा और उससे जुड़े रहस्यों के बारे में बताया गया है… एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप अजर-अमर हैं, लेकिन मुझे हर बार जन्म लेना पड़ता है और आपको पति स्वरूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप करनी पड़ती है… मुझे क्यों हर बार आपको प्राप्त करने के लिए इ​तनी कठिन परीक्षा देनी पड़ती है? और आपके अमर होने का रहस्य क्या है?

इस पर भगवान शिव ने रहा कि इसका रहस्य अमरत्व से जुड़ा है… जिसके बाद माता पार्वती अमरत्व के बारे में जानने का हठ करने लगीं…

भगवान शिव अमरत्व के रहस्य को बताना नहीं चाहते थे, ले​किन माता पार्वती हठ करने लगीं… जिसपर भोलनाथ ये रहस्य बताने के लिए तैयार हो गए… अब क्योंकि भगवान शिव अमरत्व रहस्य सिर्फ माता पार्वती को बताना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने एकांत और शांतिपूर्ण जगह की तलाश शुरू की और अंत में उन्होंने अमरत्व की कथा के लिए अमरनाथ गुफा को चुना…

अमरनाथ गुफा में पहुंचने के लिए भगवान शिव ने अपने पंचतत्वों अर्थात पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि का भी परित्याग कर दिया…. और गुफा में नंदी, कार्तिकेय, गणेश या कोई अन्य पशु-पक्षी न आ पाए, इसलिए गुफा के चारों ओर आग जला दी. जिसके बाद उन्होंने अमरत्व की कथा प्रारंभ की.

मित्रों, जब महादेव कथा सुना रहे थे तो उस दौरान माता पार्वती की आंख लग गई… ये बात भगवान शिव को पता नहीं चली क्योंकि कथा को दो कबूतर सुन रहे थे, जो बार-बार हुंकार भर रहे थे…. ऐसे में भोलेनाथ को लगा कि माता पार्वती कथा सुनकर हुंकार भर रही हैं…

जब कथा समाप्त हुई, तो भगवान भोलेनाथ ने देखा कि माता पार्वती तो सो रही हैं, फिर उनके मन में प्रश्न उठा कि कथा किसने सुनी? उन्होंने नजर दौड़ाई, तो देखा कि वहां दो कबूतर मौजूद हैं… इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए, तो वो दोनों कबूतर उनके सामने क्षमा प्रार्थना करने लगे…

दोनों ने कहा कि हे महादेव! हमने ये कथा सुनी है… अगर आप हमें मार देते हैं, तो ये कथा असत्य हो जाएगी, आप हमारा मार्गदर्शन करें… तब भगवान शिव ने कहा कि तुम आज से यहां शिव और शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में वास करोगे…

तो मित्रों इस तरह कबूतर के इस जोड़े ने अमरत्व को प्राप्त कर लिया… इस पूरी कथा के कारण गुफा को अमरनाथ गुफा कहते हैं और ये कथा अमरकथा कहलाती है… धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी कबूतर को जोड़ा वहां दिखाई देता है… औऱ जो इन्हें देख लेता है वो बहुत सौभाग्यशाली होता है…

मित्रों चलिए अब ये भी जान लेते हैं कि आखिर अमरनाथ गुफा की खोज किसने और कब की थी…

किसने की अमरनाथ गुफा की खोज ?

मित्रों, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ गुफा की खोज सबसे पहले ऋषि भृगु ने की थी….लेकिन वक्त के साथ लोग गुफा को भूल गए… जिसके बाद 1850 के आसपास बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम चरवाहे ने दोबारा गुफा को खोजा था…

अमरनाथ गुफा की खोज से जुड़ी एक कहानी के अनुसार बूटा मलिक नाम का चरवाहा एक दिन भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया… एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधू से मुलाकात हुई.. और फिर उस साधू ने बूटा मलिक को कोयले से भरा एक थैला दिया…

जब बूटा मलिक घर पहुंचा तो उसने कोयले की जगह उस थैले में सोना पाया तो वो बहुत हैरान हो गया… चरवाहा साधू को खोजने के लिए दोबारा उसी जगह पर गया… वो साधू को खोजते-खोजते अमरनाथ की गुफा के पास जा पहुंचा… लेकिन उसे साधु नहीं मिला… उसी दिन से ये गुफा अमरनाथ गुफा के नाम से प्रसिद्ध हो गई..

शिवलिंग का रहस्य

मित्रों, अमरनाथ गुफा से जुड़े वैसे तो कई रहस्य हैं… लेकिन यहां पानी से बनने वाले शिवलिंग के रहस्य को आजतक वैज्ञानिक तक नहीं समझ पाए हैं… दरअसल, ये शिवलिंग गुफा की छत से टपकने वाले पानी से बनता है…

पानी के रूप में गिरने वाली बूंदें इतनी ठंडी होती हैं कि नीचे गिरते ही ये बर्फ के रूप लेकर ठोस हो जाती हैं… ये प्रक्रिया लगातार चलती रहती है… और फिर इसी बर्फ से 12 से 18 फीट तक ऊंचा शिवलिंग बन जाता है…

इसके अलावा शिवलिंग से जुड़ा एक और रहस्य है, जो सभी को हैरान परेशान करता है…  मान्यता है कि ये दुनिया का एकमात्र ऐसा हिमलिंग है जो चंद्रकलाओं के साथ बड़ा या छोटा होता है…

दरअसल, जैसे जैसे चांद का आकार बड़ा होता रहता है हिमलिंग भी थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और दो गज से ज्यादा ऊंचा हो जाता है… और जिस दिन चांद आसमान में नजर नहीं आता अर्थात अमावस्या के दिन हिमलिंग पूर्ण रूप से गायब हो जाता है…

तो मित्रों, ये था अमरनाथ धाम का पूरा इतिहास और इससे जुड़ा रहस्य…. जाते-जाते आपको ये भी बता देता हूं कि आप इस अमरनाथ धाम की यात्रा कैसे कर सकते हैं…?

कैसे करें अमरनाथ धाम की यात्रा?

तो मित्रों, बाबा अमरनाथ धाम की यात्रा दो प्रमुख रास्तों से की जाती है… इसका पहला रास्ता पहलगाम से बनता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से… श्रद्धालुओं को ये रास्ता पैदल ही पार करना पड़ता है… पहलगाम से अमरनाथ गुफा की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है. ये रास्ता थोड़ा आसान और सुविधाजनक है, जबकि बालटाल से अमरनाथ की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है, लेकिन ये रास्ता पहले रास्ते की की तुलना में ज्यादा कठिन है…

तो मित्रों ये थे वो दो रास्ते जिसके जरिए आप अमरनाथ धाम की यात्रा कर सकते हैं… इस साल आप में से कौन कौन बाबा बर्फानी के दर्शन करने जा रहा है… या फिर कौन-कौन कर चुका है… मुझे कमेंट कर जरूर बताएं…

इसी के साथ आज की वीडियो में बस इतना ही… वीडियो पसंद आई हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करना… मैं फिर लौटूंगा ऐसी ही कुछ औऱ पौराणकि और धार्मिक जानकारियों के साथ… तबतक के लिए देखते रहिए आपका अपना youtube channel the divine tales…

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