मित्रों… जब किसी जीव की मृत्यु होती है तो उसका शरीर शिथिल पड़ जाता है… और सभी अंग काम करना बंद कर देते हैं… लेकिन जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया… और जब उनका अंतिम संस्कार किया गया तो उसके बाद भी उनके शरीर का एक अंग जीवित था…
मित्रों हो सकता है ये सुनने में आपको थोड़ा अजीब लगे… लेकिन पुराणों में दी गई जानकारी के अनुसार आज भी भगवान श्री कृष्ण का एक अंग जीवित है… जिसे एक मंदिर की मूर्ती में सुरक्षित रखा गया है… आखिर श्री कृष्ण का वो अंग कौनसा है… और उसे कहां रखा गया है… यही जानेंगे मिलकर आज की इस वीडियो में…
तो मित्रों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का एक बार फिर the divine tales पर… द्वापर युग में जब भगवान श्री हरि ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तो ये उनका मानव रूप था और सृष्टि के नियम अनुसार हर मानव की तरह भगवान विष्णु के इस रूप की मृत्यु भी निश्चित थी…
कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के होने के बाद गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि जिस तरह से मेरे वंश का नाश हुआ है… उसी प्रकार से तुम्हारा और तुम्हारे वंश का भी आपस में लड़ते हुए नष्ट हो जाएगा… और मित्रों महाभारत का युद्ध समाप्त होने के 36 वर्ष बाद गांधारी के इस श्राप का असर आरंभ होने लगा…
अभिशाप के कारण द्वारिका में अपशकुन शुरू हो गए… और एक गृहयुद्ध में सभी यादव प्रमुखों की मृत्यु हो गई… इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका छोड़ दी… एक दिन श्री कृष्ण एक पेड़ के नीचे ध्यान लगा रहे थे तभी जरा नाम का बहेलिया हिरण का पीछा करते हुए वहां पहुंच गया…
जरा ने कृष्ण के पैरों को हिरण समझ लिया और तीर चला दिया… और वो तीर श्री कृष्ण के पैर पर जा लगा… जैसे ही बहेलिया को अपनी गलती का अहसास हुआ वो श्रीकृष्ण के पास पहुंचा और उनके माफी मांगने लगा…
जरा को नहीं पता था कि उसके हाथों श्री कृष्ण के पैर पर तीर का लगना स्वयं भगवान की लीला का ही एक हिस्सा था… जिसके बाद श्रीकृष्ण ने उसे बताया कि उसकी कोई गलती नहीं है बल्कि इसी तरह उन्हें धरती त्यागनी है….
भगवान ने बताया कि त्रेतायुग में श्रीराम के अवतार के रूप में उन्होंने सुग्रीव के बड़े भाई बाली का छुपकर वध किया था… पिछले जन्म की सजा उन्हें इस जन्म में मिली है… और जरा ही पिछले जन्म में बाली था… ये कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया…
मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण द्वारा शरीर त्यागने के बाद अर्जुन और बलराम ने उनका अंतिम संस्कार किया… श्री कृष्ण का पूरा शरीर को अग्नि में समा गया लेकिन उनका ह्दय वैसे ही धड़कता रहा…
इस दृश्य को देखने के बाद वहां उपस्थित सभी लोग अंचभित रह गए… इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता एक आकाशवाणी हुई कि ये ब्रह्म का हृदय है इसे समुद्र में प्रवाहित कर दों… इसके बाद अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के हृदय को समुद्र में प्रवाहित कर दिया…
मित्रों कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का ह्दय आज भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर में स्थित है.. यहां एक मूर्ति के अंदर इसे रखा गया है… भगवान के इस हृदय अंश को ब्रह्म पदार्थ कहते हैं…
भगवान श्री जगन्नाथ की मूर्ति का निर्माण नीम की लकड़ी से किया जाता है और हर 12 साल में जब भगवान जगन्नाथजी की मूर्ति बदली जाती है, तो इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में रखा जाता है…मित्रों जब इस रस्म को किया जाता है, तो उस समय पूरे शहर की बिजली को काट दिया जाता है…
इसके बाद मूर्ति बदलने वाले पुजारी भगवान के ह्दय को बदलते हैं… और जो पुजारी ये कार्य करता है उसकी आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है… क्योंकि मान्यता के अनुसार जो इस ह्दय को देख लेता है… उसकी मृत्यु हो जाती है…
मित्रों इस रस्म को करने वाले पुजारी बताते हैं कि जब वो ह्दय को एक मूर्ती से दूसरी मूर्ति मे रखते हैं तो उस समय उन्हें ह्दय के धड़कने का एसहास होता है… जब वो अपने हाथों में ह्दय को पकड़ते हैं तो ऐसा लगता है कि मानों कोई छोटा सा खरगोश उनके हाथ में हिल रहा है…
मित्रों आप में से कौन कौन जग्गनाथ मंदिर और श्री कृष्ण के ह्दय के इस रहस्य के बारे में जानता था… मुझे कमेंट कर जरूर बताएं… इस वीडियो में बस इतना ही… प्रस्तुती रोचक लगी हो… तो इसे अपनी परिजनों, सगे संबंधियों के साथ शेयर जरूर करें….
इसी के साथ अब मुझे दें इजाजत मैं फिर लौटूंगा ऐसी ही कुछ और धार्मिक और पौराणिक जानकारियों के साथ… तबतक के खुश रहें…स्वस्थ रहें धन्यवाद…