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महर्षि वेदव्यास के अनुसार कैसा होगा कलयुग?

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वेदव्यास

पाठकों हमारे शास्त्रों में चार युगों के बारे में बताया गया है। इन चार युगों के नाम हैं- 1. कलयुग, 2.सत्ययुग, 3. त्रेतायुग और द्वापरयुग। युग-शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। हर युग की अगल- अलग विशेषताएं रही है। जानकारों के मुताबिक इस समय कलियुग चल रहा है। कलयुग की कई कथाएं हम पहले भी आपको बता चुके हैं। लेकिन इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की महर्षि वेदव्यास के अनुसार कैसा होगा कलयुग?

कैसा होगा कलयुग?

व्यास जी ने बताया है की कलयुग में धन के लिए गले काटे जायेंगे। पाखंडी बाबाओं का बोलबाला होगा और मनुष्य की आयु भी घट जाएगी। श्रीमद्भागवत में किये गए इस व्याख्यान में व्यास जी ने जो बातें कलयुग के लिए कही है। वो आज के समय में प्रासंगिक लगती है।महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों से किसी का कोई  रह जायेगा। धर्म के नाम पर पंडित अनाप-शनाप यज्ञ करवाएंगे। कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। सब लोग बिना स्नान करे ही भोजन करेंगे। देव पूजा,अतिथि-सत्कार,श्राद्ध और तर्पण की क्रिया कोई नहीं करेगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे।

कलयुग के पुत्र

पुत्र पिता को तथा बहुएं सास को काम करने भेजेंगी। कलयुग में समय के साथ-साथ मनुष्य वर्तमान पर विश्वास करने वाले, शास्त्रज्ञान से रहित, दंभी और अज्ञानी होंगे। जब जगत के लोह सर्वभक्षी हो जाएं, स्वंय ही आत्मरक्षा के लिए विवश हो तथा राजा उनकी रक्षा करने में असमर्थ हो जाएंगे। तब मनुष्यों में क्रोध-लोभ की अधिकता हो जाएगी।

कलयुग की स्त्रियां

वेदव्यास कहते हैं की लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे।कलयुग की स्त्रियां लोभी, नाटी, अधिक खानेवाली और मंद भाग्य वाली होंगी। वे अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी।  हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैदा करने वाले पुरुषो में उनकी आसक्ति होगी। कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी।  उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा। वह देह शुद्धि की ओर ध्यान नहीं देंगी तथा असत्य और कटु वचन बोलेंगी। इतना ही नहीं, वे दुराचारी पुरुषों से मिलने की अभिलाषा करेंगी।

कलयुग में धन ही सबकुछ

वेदव्यास जी आगे बताते हैं की कलयुग के समय बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। उस समय लोग प्रभुता के कारण ही सम्बन्ध रखेंगे और धन राशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी। इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे। सब लोग हमेशा किसी न किसी कलेशो से घिरे रहेंगे।मनुष्य अपने को ही पंडित समझेंगे और बिना प्रमाण के ही सब कार्य करेंगे। लोग ऋण चुकाए बिना ही हड़प लेंगे तथा जिसका शास्त्र में कहीं विधान नहीं है ऐसे यज्ञों का अनुष्ठान होगा।

कलयुग के पांच कड़वे सत्य

कलयुग की प्रजा

कलयुग की प्रजा बाड़ और सूखे के भय से व्याकुल रहेगी। सबके प्यासे नेत्र आकाश की ओर लगे रहेंगे। लेकिन पानी की बूँद भी नहीं गिरेगी। वर्षा न होने से मनुष्य तपस्वी लोगो की तरह फल,कंद-मूल व् पत्ते खाकर जीवित रहेगा। कलयुग में अकाल पड़ता रहेगा। घोर कलयुग आने पर मनुष्य बीस वर्ष तक भी जीवित नहीं रहेंगे। उस समय पांच, छह अथवा सात वर्ष की स्त्री और आठ, नौ, या दस वर्ष के पुरुषों से ही संतान होने लगेंगी। उस समत लोग मंदबुद्धि, व्यर्थ के चिन्ह धारण करने वाले बुरी सोच वाले होंगे।कलयुग आने पर राजा प्रजा की रक्षा न करके बल्कि कर के बहाने प्रजा के ही धन का अपहरण करेंगे।अधम मनुष्य संस्कारहीन होते हुए भी पाखंड का सहारा लेकर लोगों ठगने का काम करेंगे । उस समय पाखंड की अधिकता और अधर्म की वृद्धि होने से लोगो की आयु कम होती चली जाएगी।हत्यारों की भी हत्या होने लगेगी चोर अपने ही जैसे चोरों की संपत्ति चुराने लगेंगे।कलयुग के अंत के समय बड़े भयंकर युद्ध होंगे, भारी वर्षा, प्रचंड आंधी और जोरों की गर्मी पड़ेगी। लोग खेती काट लेंगे, कपड़े चुरा लेंगे, पानी पिने का सामान और पेटियां भी चुरा ले जाएंगे।

कलयुग का अंत

वेदव्यास के अनुसार कलयुग चरम पर पहुंचने के बाद पाप धीरे-धीरे कम होने लगेगा। फिर धीरे-धीरे लोग साधू पुरुषों की सेवा, दान, सत्य एवं प्राणियों की रक्षा में पुनः तत्पर होने लगेंगे। इससे धर्म के एक नए चरण की स्थापना होगी। उस धर्म से लोगों को कल्याण की प्राप्ति होगी।श्रेष्ठ क्या है, इस बात पर विचार करने से धर्म ही श्रेष्ठ दिखाई देगा। जिस प्रकार धर्म की हानि हुई थी, उसी प्रकार धीरे-धीरे प्रजा धर्म की राह पर चलने लगेगी। और इस प्रकार धर्म को पूर्णरूप से अपना लेने पर हो जायेगा कलियुग का अंत ।

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