होम महाभारत गंगा ने क्यों की अपनी संतानों की हत्या?

गंगा ने क्यों की अपनी संतानों की हत्या?

by divinetales
गंगा

मित्रों… एक मां के लिए उसकी संतान ही उसका संसार होती है… चोट लगती तो संतान को है लेकिन पीड़ा मां को होती है… संतान के लिए मां के प्रेम को शब्दों में परिभाषित कर असंभव है… लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी मां की कहानी बताने जा रहा हूं जिन्होंने अपने एक नहीं बल्कि 7 नवजात शिशुओं को मौत के घाट उतार दिया था…

आखिर कौन थी वो निर्दयी मां… और क्यों उसनें अपने संतानों की हत्या की थी… यही जानेंगे मिलकर आज की इस वीडियो में… तो बने रहिए मेरे साथ इस वीडियो के अंत तक…

तो मित्रों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का एक बार the divine tales पर…

मित्रों… सबसे पहले तो बता दूं कि ये मां कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां गंगा थी… जिनका विवाह राजा शांतनु से हुआ था… और विवाह से पहले मां गंगा ने राजा शांतनु से ये वचन लिया था कि वो कभी भी मां गंगा से प्रश्न नहीं पहुंचेंगे… जिस दिन वो ऐसा करेंगे मां गंगा उन्हें सदा सदा के लिए छोड़कर ब्रह्म लोक चली जाएंगी…

इसके बाद ब्रह्पुत्री गंगा एक एक कर अपनी कोख से जन्म लेने वाले 7 शांतनु पुत्रों को स्वयं अपने ही जल में बहा रही थीं.. हस्तिनापुत्र नरेश तट पर खड़े होकर देखने के सिवा कुछ ना कर सके… वो एक विवश मछलि की तरह तड़प रहे थे… क्योंकि उनके गले में स्वयं उनके वचन का कांटा फंसा था…

वो केवल रो सकते थे… विलाप कर सकते थे… लेकिन गंगा से कुछ पूछ नहीं सकते थे… फिर मां गंगा ने अपने 8वें पुत्र को जन्म दिया… उसे भी मां गंगा अपने हाथों में लिए नदी की ओर जाने लगीं… फिर क्या शांतनु असहाय की तरह गंगा के पीछे-पीछे नदी तक गए…

गंगा पुत्र को नदी में डुबोने ही वाली थी कि शांतनु ने उन्हें रोक दिया… और बोले कि अब ये सब मुझ से सहन नहीं होता देवी…

तब मां गंगा ने कहा कि आप वचनबध है महाराज…

शांतनु: जिसने तुम्हें वचन दिया था वो चंद्रवंशी राजा था और जो तुम्हें रोक रहा है वो एक पिता है… तुम एक एक करके मेरे साथ पुत्रों की हत्या कर चुकी हो… अब मैं इस आठवें बच्चे को नहीं मरने दूंगा गंगे… तुम ऐसा क्यों कर रही हो?  मां अपने बच्चों की हत्या कैसे कर सकती है? तुम कैसी मां हो?

गंगा:  मैंने इन बच्चों की हत्या नहीं की है महाराज… इन्हें श्राप से मुक्त किया है…

शांतनु: श्राप… कैसा श्राप?

गंगा: हां श्राप… मैं स्वर्ग की रहने वाली ब्रह्मपुत्री गंगा इस धरती पर आपके साथ एक श्राप जी रही हूं… और आप मेरे साथ भी एक श्राप जी रहे हैं…

शांतनु: कैसा श्राप? किसका श्राप?

गंगा: मेरे पिता ब्रह्मा का श्राप

शांतनु: मुझे सारी कथा विस्तार से सुनाओ देवी…

राजा शांतनु के ये कहते ही मां गंगा ने उन्हें बताया कि वो पिछले जन्म में महाराजा महाभिषक थे… जो एक दिन स्वर्ग में सभी देवताओं के साथ इंद्रलोक में बैठे थे… तभी वहां मां गंगा अपने पिता ब्रह्म देव के साथ पहुंचीं… मां गंगा की सुंदरता देखते ही माभिषक उनपर मोहित हो गए… और मां गंगा भी उन्हें एक टक देखने लगी….और इस तरह दोनों एक दूसरे की आंखों में खो गए…

तभी वायु की तेज गति की वजह से मां गंगा का आंचल गिर गया… ऐसी स्थिति में सभी देवताओं ने अपनी आंखें नीचे कर लीं… लेकिन महाभिषक मां गंगा की आंखों में देखते रहे…

ये देख ब्रह्मदेव को मां गंगा और शांतनु पर क्रोध आ गया… जिसके बाद उन्होंने दोनों को मनुष्य रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया…

ये सुनते ही राजा शांतनु बोले कि देवी क्या हमारे बच्चे भी उसी श्राप का हिस्सा हैं… तब गंगा ने बताया कि नहीं आर्यपुत्र आपके आठों पुत्र तो वो वसु हैं जिन्हें ऋषि वशिष्ठ ने धरती पर जन्म लेने का श्राप दिया था… क्योंकि इन्होंने उनकी गाय को चुराया था..

मुझ से उनका ये दुख देखा नहीं गया और मैंने उन्हें वचन दिया कि मैं उन्हें अपनी कोख से जन्म दूंगी और जन्म देने के बाद उन्हें मृत्यु लोक से मुक्ति दिलाउंगी… परंतु लगता है हमारे आठवें पुत्र को इस धरती पर रहकर श्राप भोगना पड़ेगा…

गंगा ने अंत में शांतनु से कहा, ‘मैं उनकी इस इच्छा को पूर्ण कर रही थी कि वो इस धरती पर ज्यादा समय ना रह सके… लेकिन जिस आठवें पुत्र को आपने आज बचाया है… उसका ही चोरी में मुख्य हाथ था… औऱ लगता है इसी कारण उसे धरती पर जीवन जीकर कष्ट भोगने ही पड़ेंगे…

और मित्रों आपको बता दूं कि गंगा और शांतनु का ये आठवां पुत्र कोई और नहीं बल्कि देवव्रत था… जो अपनी प्रतिज्ञा के चलते आगे चलकर भीष्म पितामह कह लाए थे…  

तो मित्रों… अंत में यही कहूंगा कि कोई भी मां अपनी संतानों की हत्या यू हीं नहीं कर सकती… मां गंगा ने भी अपनी संतानों को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए ही नदी में प्रवाहित किया था…

आज की इस वीडियो में बस इतना ही… उम्मीद करता हूं आपको ये वीडियो पसंद आई होगी… इस वीडियो को अंत तक देखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद…

इसी के साथ मुझे दें इजाजत मैं फिर लौटूंगा ऐसी ही कुछ और पौराणिक कथाओं के साथ… तबतक के लिए देखते रहिए the divine tales…  

0 कमेंट
1

You may also like

एक टिप्पणी छोड़ें