महाभारत युद्ध के बाद गांधारी के श्राप के कारण यदुवंश आपस में ही लड़कर समाप्त हो गए। तत्पश्चात कृष्ण और बलराम ने भी अपना भौतिक शरीर त्याग दिया। परन्तु पाठकों क्या आप जानते हैं की श्री कृष्ण के देहवासन बाद उनकी पत्नियों का क्या हुआ ?इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की भगवान कृष्ण के पश्चात उनकी पत्नियों का क्या हुआ ?
श्री कृष्ण को श्राप
कौरवों की माँ और धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी का विचार था कि यदि भगवान कृष्ण चाहते तो इतिहास के सबसे बड़े युद्ध महाभारत पर विराम लगा सकते थे. अपनी बुद्धि एवं शक्ति से वे इतने भयावह नरसंहार और रक्तपात को रोक सकते थे. गांधारी के विचार में कृष्ण के कारण ही उसके पुत्रों की मृत्यु हुई. महाभारत युद्ध के पश्चात जब युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था तब गांधारी ने कृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरव वंश का नाश हुआ है उसी प्रकार यदुवंश भी समाप्त हो जायेगा. महभारत के पश्चात भगवान कृष्ण ने अपनी 8 पत्नियों जिन्हे अष्टभर्य भी कहा जाता है के साथ जीवन व्यतीत किया. कृष्ण की कुल मिलाकर 16108 पत्नियां थी जिनमे से प्रमुख 8 पत्नियों के नाम रुक्मणि, जांबवती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा हैं.
नारद मुनि का श्राप
भविष्य, स्कन्द और वराह पुराण के अनुसार, एक बार नारद मुनि द्वारका नगरी पधारे. वहां कृष्ण और जांबवती के पुत्र साम्ब ने नारद मुनि की ओर ध्यान ही नहीं दिया. ऐसा निरादर देख मुनि ने उसे सबक सिखाने का निश्चय किया और भगवान की सभी पत्नियों और साम्ब को मदिरा पान करा दिया. इसके पश्चात कृष्ण की पत्नियों ने अपनी चेतना खो दी और उनका स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहा. उनमे से एक पत्नी ने साम्ब की पत्नी का भेष धारण कर लिया. साम्ब का ऐसा कृत्य देख कृष्ण ने उसे कुष्ट रोग से पीड़ित होने का श्राप दिया और अपनी पत्नियों को कहा कि मेरी मृत्यु के पश्चात तुम सभी का अभीर राज्य के लोगों के द्वारा अपहरण कर लिया जायेगा.
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यदुवंश का विनाश
एक बार ऋषि विश्वामित्र, ऋषि दुर्वासा, ऋषि वशिष्ट और नारद मुनि तीर्थ यात्रा से वापस आते समय कृष्ण और बलराम से भेंट करने हेतु द्वारका पधारे. वहां साम्ब सहित यदुवंश के कुछ युवाओं ने महर्षियों को देख उनका उपहास किया जिस कारण महर्षियों ने सभी यदुवंशियों को श्राप दे दिया. इस श्राप और गांधारी के परिणामस्वरूप किसी कारण वश सभी यदुवंशी आपसे में ही लड़ने लगे और इस लड़ाई ने इतना भयंकर रूप लिया कि यदुवंश समाप्त हो गया. भगवान कृष्ण के पुत्र और पौत्र सभी की मृत्यु हो गयी. यदुवंशियों में केवल कृष्ण के प्रपौत्र वज्र ही जीवित रहे. वज्र अनिरुद्ध का पुत्र थे और अनिरुद्ध प्रद्युम्न के पुत्र थे.
श्री कृष्ण का देहवासन
महाभारत के मौसल पर्व के अनुसार, श्री कृष्ण और बलराम ने अपने भौतिक शरीर त्याग दिए. अर्जुन ने कृष्ण और बलराम की पत्नियों को उनके पतियों की मृत्यु के विषय में कुछ नहीं बताया. उनकी पत्नियों एवं संतानों को अर्जुन इंद्रप्रस्थ ले जा रहे थे. रास्ते में इतनी महिलाओं की रक्षा के लिए केवल एक योद्धा को उपस्थित देख अभीर वर्ग के लोगों ने उन पर आक्रमण कर दिया और कृष्ण की पत्नियों सहित सभी को बंदी बना लिया जो स्वयं कृष्ण भगवान का उनकी पत्नियों के लिए दिए गए श्राप के परिणामस्वरूप हुआ. भगवान के इस संसार से जाने के पश्चात अर्जुन ने अपनी शक्तियां खो दीं क्यूंकि अर्जुन को जिन कारणों के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करना था वे सभी अब पूरे हो चुके थे. अर्जुन ने यदुवंश के लोगों की रक्षा का हर संभव प्रयास किया परन्तु उसके सभी शस्त्र भी अब असफल हो रहे थे.
श्री कृष्ण की पत्नियां
केवल कृष्ण की आठ पत्नियां, बलराम की पत्नियां, और कुछ सेवक ही अभीरों के आक्रमण से बच गए थे. ये सभी अर्जुन के साथ पहले इंद्रप्रस्थ और अंत में कुरुक्षेत्र पहुंचे. हस्तिनापुर के लोगों ने द्वारका वासियों को शरण देने के उचित प्रबंध किये. अर्जुन ने सभी को राज्य में उचित स्थान देकर अपना कर्तव्य पूर्ण किया और अंत में भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्र को मथुरा का राजा बनाया. इसके पश्चात अर्जुन ने अष्टभर्य को भगवान कृष्ण की मृत्यु के विषय में भी बता दिया जिसक परिणामस्वरूप, रुक्मिणी, जांबवती, सती हो गयी और सत्यभामा समेत अन्य पत्नियां वन में तपस्या के लिए चली गयीं. ये सभी केवल फल और पत्तों के आहार पर जीवित रहकर भगवान श्री हरी की आराधना करती रहीं.