मंत्र जप एक ऐसा उपाय है, जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। शास्त्रों में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। इस कड़ी में हम इस पोस्ट में लेकर आये हैं हिन्दू धर्म के सबसे शक्तिशाली ,सबसे प्रभावी मन्त्रों के अर्थ और उनका जाप करने से होने वाले फायदे। इस पोस्ट में हम बात करेंगे महामृत्युंजय मंत्र की। पोस्ट में आपको महामृत्युंजय मंत्र जप करने के लाभ और श्लोक के शाब्दिक अर्थ बताने जा रहे हैं।
महामृत्युंजय मंत्र केअर्थ
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थात हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं। जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं। जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है। उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं। आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
ॐ नमः शिवाय मन्त्र जपने के फायदे और अर्थ
जप करने की विधि
महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें। इस मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह पर ही करें। उस समय मांसाहार बिल्कुल भी न खाएं। मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करे। इस मंत्र का जप उसी जगह करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो। मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग पर दूध मिलें जल से अभिषक करते रहे। जो भी मंत्र जपना हो उसका जप उच्चारण की शुद्धता से करें।. एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं। मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें। जप काल में धूपदीप जलते रहना चाहिए। जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।
मंत्र के लाभ
इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है. इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है।