होम शिव कथायें भगवान् शंकर की बहन असावरी देवी – Lord Shiva Sister Asavari Devi In Hindi

भगवान् शंकर की बहन असावरी देवी – Lord Shiva Sister Asavari Devi In Hindi

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भगवान् शंकर की बहन : शिवपुराण और भी कई धर्म ग्रंथो में शंकर भगवान् की बहन असावरी देवी का वर्णन किया गया है | कहा जाता है की जब माता पार्वती ने भगवान शंकर से विवाह किया तो वो खुद को घरपर अकेले महसूस करके दुखी रहने लगी | माता पार्वती के मन में ये इच्छा उत्पन्न होने लगी की अगर उनकी कोई एक नन्द होती तो उनका मन लगा रहता | लेकिन बो जानती थी की भगवान् शंकर तो अजन्मे है ना ही उनकी माता है, ना पिता और न ही कोई बहन जिससे वो अपनी बात को मन में ही दबाकर रह गयी | भगवान् शंकर तो ठहरे अन्तर्यामी उन्होंने माता पार्वती की मन की बात को जान लिया और माता पार्वती से पूछा की कोई परेशानी है क्या देवी ? तब माता पार्वती ने अपनी मन की बात शंकर जी से कही की काश मेरी एक नन्द होती तो अच्छा होता |

कैसे हुआ देवी असावरी का जन्म ?

भगवान् शंकर ने माता पार्वती से कहा की देवी में तुम्हे अपनी बहन और तुम्हारी नन्द तो लाकर दे दूँ पर क्या आपकी नन्द के साथ बनेगी तब माता पार्वती ने कहा की मेरी नन्द से क्यूँ नहीं बनेगी | भगवान् शंकर ने कहा ठीक है mai तुम्हारी नन्द को लेकर आता हूँ | भगवान् शंकर ने अपनी दिव्य शक्ति और माया से एक माया रुपी देवी को उत्पन्न कर दिया इस माया रुपी देवी असावरी दिखने में बहुत ही मोती थी और इनके पैरो में बहुत ही बड़ी बड़ी दरारें थी | भगवान् शंकर असावरी देवी को लेकर माता पार्वती के पास पहुंचे और माता से कहा में तुम्हारी नन्द को ले आया हूँ |

देवी असावरी से माता पार्वती क्यों हुई दुखी ? भगवान् शंकर की बहन

माता पार्वती देवी असावरी को देखकर बहुत खुश हुई और तुरंत देवी असावरी के लिए स्नान की व्यवस्था करके देवी के लिए भोजन बनाने लगी | देवी असावरी जैसे ही स्नान करके आई तो तुरंत भोजन मांगने लगी तब माता पार्वती ने देवी को भोजन परोस दिया | जब देवी असावरी ने भोजन खाना शुरू किया तो माता के भण्डार का सारा खाना खा गयी और भगवान् शंकर के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा | इस वजह से माता पार्वती दुखी हो गयी और देवी असावरी के लिए वस्त्रों की व्यवस्था करने लगी मगर माता जो भी कपडे देवी असावरी को देती बो छोटे पड़ जाते जिससे वो देवी के लिए दुसरे वस्त्रो की व्यवस्था करने लगी |

कैसे हुई देवी असावरी की विदाई ? भगवान् शंकर की बहन

इसी बीच नन्द देवी असावरी को मजाक करने की सूझी और उन्होंने माता पार्वती को अपने पैरो की दरारों के बीच में छुपा लिया जिससे माता पार्वती का दम घुटने लगा | जब भगवान् शंकर ने माता पार्वती को ना पाया तो देवी असावरी से पार्वती जी के बारे में पूछा तो देवी असावरी ने शंकर जी से झूट बोल दिया की मुझे नी पता | शंकर भगवान् ने देवी असावरी से दुबारा पूछा की कही यह तुम्हारी कोई शरारत तो नहीं तो देवी असावरी और ज्यादा हसने लगी और जमीन पर अपने पैर को तेज़ी से पटक दिया जिससे माता पार्वती देवी के पैरो की दरार से बाहर निकल कर गिर पड़ी | नन्द के इस तरह के व्यहार से माता बहुत दुखी हो गयी और बहुत क्रोधित भी हो गयी | माता पार्वती ने भगवान् शंकर से कहा की मेरी गलती हुई की मैंने नन्द की इच्छा प्रकट की आप कृपा करके मेरी नन्द देवी असावरी को जल्द ही ससुराल भेजने की कृपा करें | तब भगवान् शंकर ने देवी असावरी रुपी अपनी माया को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया |

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