रावण का श्राप : ये बात तो आप सभी जानते है की दशानन रावण बहुत ही पराक्रमी और विद्वान् राजा था | धर्म ग्रंथो के अनुसार रावण ने अपने जीवन में कई युद्ध किये और उन्हें जीता भी था | इतना पराक्रमी और वल्शाली होने के बाद भी रावण के साथ उसके पुरे कुल का नाश हो गया जिसके पीछे श्री राम की शक्ति के साथ कुछ और लोगो के श्राप थे जिन्हें रावण ने अपने छल और बल से नुकसान पहुँचाया था | धर्म ग्रंथो में मुख्यता 6 लोगो का वर्णन मिलता है जिन्होंने रावण से आहत होकर के उसे श्राप दिए थे जिसकी वजह से रावण के साथ उसके समस्त कुल का भी नाश हो गया था | तो आइये जानते है वो 6 लोग कौन थे जिनसे रावण को मिला श्राप
राजा अनरण्य से रावण को मिला श्राप
भगवान् राम के वंश रघुवंश में जन्म लेने वाले एक राजा अनरण्य थे जो बहुत ही परम प्रतापी और दयालु राजा थे | रावण जब विश्वविजय के उद्देश्य से निकला तो राजा अनरण्य के राज्य में पंहुचा तब उसका राजा अनरण्य के साथ भयंकर युद्ध हुआ | इस भयंकर युद्ध में राजा अनरण्य की तो मृत्यु हो गई मगर मृत्यु से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया की उनके वंश में जन्म लेने वाले किसी प्रतापी वीर के हाथो तेरी मृत्यु होगी | राजा अनरण्य के वंश में ही भगवान् राम का जन्म हुआ जिन्होंने आगे चलकर रावण का वध किया और श्राप को पूरा किया |
शिव के नंदी से रावण को मिला श्राप
रावण एक बार भगवान् शंकर से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर गया जंहा उसकी मुलाकात भगवान् शंकर के बाहन नंदी से हुई | रावण ने नंदी को देखकर उनके रूप का मजाक बनाना शुरू कर दिया और मजाक मजाक में नंदी जी को बंदर के समान मुख बाला तक कह दिया | रावण की इन बातो से नाराज होकर नंदी ने रावण को श्राप दिया की उसके सर्वनाश का कारण बंदर ही होगे जो आगे चलकर सत्य हुआ | बंदर के समान मुख में अवतरित श्री हनुमान रावण के सर्वनाश का कारण बने |
बड़ी बहन माया से रावण को मिला श्राप
रावण ने और सब लोगो के साथ ही वासनावश अपनी बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था | रावण की बड़ी बहन माया का विवाह वैजयंतपुर के शंभर राजा के साथ हुआ था | एक बार रावण अपनी बहन और उसके पति से मिलने वैजयंतपुर गया तो अपनी बड़ी बहन को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और उसे अपनी बातो में फंसा कर उसके साथ छल कर लिया | जब यह बात राजा सांभर को पता चला तो उन्होंने रावण को बंदी बना लिया | ठीक उसी समय राजा दशरथ ने वैजयंतपुर पर हमला कर दिया और राजा दशरथ और राज सांभर के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमे राजा सांभर के मृत्यु हो गयी | जब माया अपने पति के साथ सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा | तब माया ने रावण को श्राप दिया की तुमने वासनायुक्त होकर मेरे साथ छल किया है जिससे मेरा सतीत्व भंग हुआ और मेरे पति की मृत्यु हुई है अतः तुम स्त्री की वासना के कारण मारे जाओगे | माया का श्राप सत्य हुआ रावण ने माता सीता का वासनावस् किया जो उसकी मौत का कारण बना |
तापिस्वानी से
रावण एक बार अपने पुष्पक विमान से भ्रमण पर निकला तब उसे रास्ते में एक सौन्दय से परिपूर्ण तापिस्वानी महिला भगवान् विष्णु को अपने पति के रूप में तपस्या करती हुई मिली | रावण उस महिला को देखते ही उस पर मोहित हो गया और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा जब वह तापिस्व्नी नहीं मानी तो रावण ने उसे बालों से पकड़कर ले जाने का प्रयास किया तो तापिस्वानी ने वंही अपने देह त्याग दी | तापिस्वानी ने रावण को श्राप दिया की तेरी मृत्यु का कारण एक महिला ही बनेगी | जो आगे चलकर सत्य हुआ माता सीता रावण ही रावण के साम्राज्य का नाश और अंत का कारण बनी |
कुबेर के पुत्र नलकुबेर से
विश्व पर विजय प्राप्त करने के बाद रावण अपने बड़े भाई कुबेर से मिलने स्वर्ग लोक पहुंचा तो रंभा नाम की एक अप्सरा को देखकर उस पर मंत्रमुग्ध हो गया और अपनी वासना को पूरा करने के लिए उसे पकड़ लिया | रावण के पकड़ने पर रंभा ने कहा में आपके बड़े भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर के लिए आरक्षित हूँ जिससे में आपकी पुत्रवधू के सामान न हूँ कृपया मुझे स्पर्श न करे | मगर उसने रंभा की एक बात ना सुनी और और वासनावास उसके साथ दुराचार कर दिया | जब यह बात कुबेर के पुत्र नलकुबेर को पता चली तो उन्होंने रावण को श्राप दिया की आगरा रावण किसी भी स्त्री को उसकी अनुमति और इच्छा के बिना स्पर्श करेगा तो रावण का सर सौ टुकडो में बंट जाएगा | यह श्राप आगे चलकर सत्य हुआ रावण ने माता सीता का हार्न तो कर लिया मगर उनकी अनुमति के बिना स्पर्श करने से मरने तक डरता रहा और माता सीता को स्पर्श न कर सका |
छोटी बहन सूर्पनखा से रावण को मिला श्राप
रावण की छोटी बहन सूर्पनखा का विवाह विद्युतजिव्ह नाम के व्यक्ति के साथ हुआ था जो कालके नाम के राजा के यहाँ सेनापति के पड़ अपर पर तैनात था | रावण जब विश्व युद्ध का संकल्प लेकर अपने राज्य से निकाल कर राजा कालकेय के राज्य में पहुंचा तो उनके बीच में भयंकर युद्ध हुआ जिसमे राजा कालकेय मारा गे साथ में ही सूर्पनखा का पति भी मृत्यु को प्राप्त हो गया जब सूर्पनखा को यह समाचार मिला की उसके पति की मृत्यु का कारण उसका भाई रावण है | तब सूर्पनखा ने अपने बड़े भाई रावण को श्राप दिया की उसकी मृत्यु का कारण उसकी छोटी बहन स्वं सूर्पनखा ही बनेगी | आगे चलकर यह श्राप सच साबित हुआ और जब सूर्पनखा के नाक कान लक्ष्मण जी ने काटे थे तभी से रावण के अंत की शुरुआत हो गयी थी |